पहलगाम हमले की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान के साथ हुए सैन्य संघर्ष के बाद भारत ने अपनी रणनीति में तेजी से बदलाव किया है। आतंकवाद के खिलाफ सतत संघर्ष के लिए सुरक्षाबल तैनात हैं। शीर्ष नेतृत्व लगातार उन जगहों पर जाकर सेना का मनोबल बढ़ा और पाकिस्तान के झूठे दावों का पर्दाफाश कर रहा है, जिन पर पाकिस्तान ने हमले की बात कही थी। इसी क्रम में रक्षामंत्री श्रीनगर में सेना के जवानों से मिलने गए। वहां उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया कि पाकिस्तान एक दुष्ट और गैरजिम्मेदार देश है, उसके पास परमाणु हथियार होना खतरे से खाली नहीं हो सकता। वह बार-बार भारत को परमाणु हमले की धमकी देता रहा है।
भारत कभी पाकिस्तान की परमाणु धमकी के आगे झुकने वाला नहीं है
इसके पहले प्रधानमंत्री ने भी कहा था कि भारत कभी पाकिस्तान की परमाणु धमकी के आगे झुकने वाला नहीं है। रक्षामंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के परमाणु आयुध पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजंसी की निगरानी होनी चाहिए। भारत इसकी मांग अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाएगा। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी तरह के व्यापारिक संबंध तोड़, सिंधु जल समझौते को निलंबित और उसके आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर उसे काफी कमजोर कर दिया है। अब उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। अगर उसके परमाणु हथियारों पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजंसी की निगरानी पर सहमति बनती है, तो पाकिस्तान पर दबाव और बढ़ जाएगा।
पाकिस्तान के परमाणु आयुध को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जाती रही है। इसलिए कि वहां आतंकवादी संगठनों को प्रश्रय मिलता है। वहां के खूंखार दहशतगर्द सेना और खुफिया एजंसी के संरक्षण में रहते रहे हैं। ऐसे में यह खतरा लगातार बना रहता है कि उसके परमाणु हथियार अगर आतंकियों के हाथ लग गए, तो वे विनाश का कारण बन सकते हैं। भारत के साथ पाकिस्तान के तल्ख रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं, पर दूसरे देशों में भी उसके आतंकियों की गतिविधियां उजागर हैं।
इसलिए यह न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। भारत ने न सिर्फ उसके नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बना कर उन्हें ध्वस्त कर दिया, बल्कि इसके सबूत भी पूरी दुनिया के सामने पेश कर दिए कि वहां का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व विश्व आतंकवादी की सूची में शामिल संगठनों और आतंकियों के साथ खड़ा है। इतना कुछ हो जाने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। कश्मीर के त्राल और केल्लर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह आतंकियों का मारा जाना इस बात का सबूत है कि अब भी वह घाटी में दहशतगर्दी को बढ़ावा दे रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में भारत ने अपनी रणनीति बदल कर जमीनी स्तर और विश्व मंच, दोनों जगह पाकिस्तान को घेरने की तैयारी कर ली है। घाटी से दहशतगर्दों के सफाए का निरंतर अभियान उसी का नतीजा है। मगर विचित्र है कि पाकिस्तान के खिलाफ इतने सबूत होने और उसके लगातार आतंकवाद को पोसने के प्रमाण मिलते रहने के बावजूद चीन और तुर्किए जैसे कुछ देश उसका खुला समर्थन कर रहे हैं। इन दोनों देशों के पाकिस्तान से अपने स्वार्थ जुड़े हैं, पर दूसरे देशों से उसकी हकीकत छिपी नहीं है। अगर भारत गंभीरता से उसके परमाणु हथियारों का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता और कूटनीतिक प्रयासों से इस पर वैश्विक सहमति बनाने में कामयाब हो पाता है, तो निस्संदेह इसकी बड़ी कामयाबी होगी।