आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश लंबे समय से पाकिस्तान को चेतावनी देते रहे हैं। लेकिन हैरानी और चिंता की बात यह है कि पाकिस्तान पर इनका अब तक कोई असर नहीं हुआ है, बल्कि आतंकी सरगना पाकिस्तान में एकदम सुरक्षित हैं और मौज काट रहे हैं। अब यह तो स्पष्ट हो चुका है कि वैश्विक आलोचनाओं और दबावों के कारण पाकिस्तान भले कितने दावे करे कि वह आतंकी संगठनों पर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट ही है।

कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान के कदम दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं हैं। इसका ताजा सबूत यह है कि उसने आतंकी संगठनों के पाकिस्तान में मौजूद आकाओं के नाम अब तक काली सूची में नहीं डाले हैं।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि अलकायदा, इस्लामिक स्टेट और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान जैसे बड़े आतंकी संगठनों की कमान पाकिस्तानी नागरिकों के हाथों में है और पाकिस्तानी जमीन से ही इन आतंकी संगठनों का संचालन हो रहा है।

जाहिर है, पाकिस्तान ऐसा करके पूरी दुनिया को खुली चुनौती दे रहा है कि वह आतंकी संगठनों को पालना-पोसना बंद नहीं करेगा और अपना मिशन जारी रखेगा।

आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर निगरानी रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की टीम ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को पुरजोर तरीके से रखा है कि जिन आतंकी सरगनाओं के नाम आतंकियों की सूची में होने चाहिए थे, उन्हें पाकिस्तान सरकार ने इस सूची से बाहर रख कर बचा लिया है।

तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के सरगना आमिर नूर वली महसूद को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है, लेकिन उसे अभी तक पाकिस्तान सरकार ने काली सूची में नहीं डाला।

पिछले साल जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को भी संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक आतंकी घोषित किया था, लेकिन तब भी पाकिस्तान ने उसके खिलाफ कोई ऐसी कार्रवाई नहीं की जो दूसरे आतंकी संगठनों के लिए सबक बनती। ऐसे एक नहीं, कई आतंकी हैं, जिन्हें वैश्विक आतंकी घोषित करते हुए इन पर कड़ी कार्रवाई करने का पाकिस्तान पर अरसे से दबाव है। लेकिन पाकिस्तान सरकार किसी को आतंकी नहीं मानती।

जाहिर है, पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने की अपनी सरकारी नीति पर ही चल रहा है। पाकिस्तान के करीबी दोस्त और हमदर्द देशों- अमेरिका, चीन सहित पूरी दुनिया जानती है कि खुफिया एजेंसी आइएसआइ और पाकिस्तानी सेना आतंकवाद फैलाने का कारोबार करते हैं। फिर भी पाकिस्तान का कुछ नहीं बिगड़ता तो जाहिर है इसके पीछे ऐसे बड़े देशों का उस पर हाथ है जो खुद भी आतंकवाद को बढ़ावा देने की नीति में भरोसा रखते हैं।

इसलिए अगर कोई पाकिस्तान से उम्मीद करता है कि वह आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, तो इससे बड़ा भ्रम कुछ नहीं हो सकता।

कुछ समय पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अलकायदा सरगना उसामा बिन लादेन को शहीद बताया था। ऐसा कह कर इमरान खान ने इस बात का प्रमाण दे दिया था कि दुनिया जिन्हें आतंकी मानती है उन्हें पाकिस्तान शहीदों का दर्जा देता है और उनका सम्मान करता है।

लादेन के खात्मे से यह भी साबित हो गया था कि उसे पाकिस्तान ने ही लंबे समय तक अपने यहां छुपा कर रखा हुआ था। यही पाकिस्तान अभी भी कर रहा है। भारत पर जितने आतंकी हमले हुए हैं, सबके आरोपी, दोषी और साजिशकर्ता पाकिस्तान में खुले घूम रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कोई कदम उठाएगा, इसकी उम्मीद करना अपनी ही आंखों में धूल झोंकने जैसा होगा।