Operation Sindoor: आपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले करके भारतीय सेना ने न केवल पहलगाम हमले का कड़ा जवाब दिया, बल्कि दुनिया के सामने अपनी रणनीतिक क्षमता का कुशल प्रदर्शन भी कर दिया है। इस हमले के बाद भारत सरकार को कूटनीतिक कामयाबी भी मिलती दिखने लगी है। इस अभियान की रणनीति तीनों सेनाओं ने मिल कर बनाई थी। हालांकि पाकिस्तान शुरू से शोर मचा रहा था कि भारत कभी भी उस पर हमला कर सकता है और इसके मद्देनजर उसने अपनी सामरिक तैयारियां तेज कर दी थी। मगर भारतीय सेना ने इतनी कुशलता से हवाई हमले किए और इतने सटीक निशाने साधे कि उसे समझने का मौका भी नहीं मिल पाया।
यह सेना और सरकार की बड़ी सूझबूझ है कि पाकिस्तान के किसी नागरिक, सैन्य और आर्थिक ठिकाने पर निशाना लगाने के बजाय सिर्फ आतंकी ठिकानों को लक्ष्य कर ध्वस्त किया गया। इस तरह दुनिया में किसी को इसके विरोध में कुछ कहने का मौका नहीं रह गया है। चीन तक समझ नहीं पा रहा कि भारत के इस कदम को कैसे गलत ठहराया जाए। हमले के तुरंत बाद भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों के अपने समकक्षों को फोन कर हमले की जानकारी दी। इस तरह पाकिस्तान की कूटनीतिक घेराबंदी भी कर दी गई है।
आपरेशन सिंदूर के प्रमाण भी दुनिया के सामने पेश किए जा चुके हैं।
आपरेशन सिंदूर के तहत मुख्य रूप से पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालयों तथा आतंकी प्रशिक्षण शिविरों पर हमले किए गए। उसके प्रमाण भी दुनिया के सामने पेश किए जा चुके हैं। माना जा रहा है कि इस हमले में इन आतंकी संगठनों से जुड़े काफी लोगों की जान गई है। भारतीय सेना ने वहां के जिन नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए, उनमें से चार पाक अधिकृत कश्मीर में और बाकी उसके पंजाब प्रांत में स्थित थे। शायद पाकिस्तानी सेना को अंदाजा नहीं था कि भारतीय सेना पंजाब प्रांत के भीतर भी हमला कर सकती है।
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उसने इस हमले की प्रतिक्रिया में भारत की सीमा पर कुछ नागरिक ठिकानों पर हमले किए हैं, पर उससे उसकी बौखलाहट ही जाहिर होती है। वह कुछ दिन पहले तक नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए गोलीबारी कर भारतीय सेना को ललकार और अपनी परमाणु ताकत का धौंस दे रही थी, अब उसे समझ नहीं आ रहा कि कैसे प्रतिक्रिया देनी चाहिए। दरअसल, उसे लग रहा था कि चीन का समर्थन मिलेगा और भारत उसके भय से दब जाएगा। मगर अब आतंकवाद के खिलाफ हमले पर चीन कैसे पाकिस्तान का समर्थन करेगा, देखने की बात होगी।
भारतीय सेना की देश भर में हो रही सराहना
इस हमले के बाद उचित ही भारतीय सेना की देश भर में सराहना हो रही है। विपक्षी दलों ने भी एक बार फिर सरकार के साथ अपनी एकजुटता जताई और सेना के कौशल की तारीफ की है। हालांकि अमेरिका जैसे कुछ देशों ने कहा है कि यह तनाव जितना जल्दी खत्म हो, उतना ठीक होगा। पर भारतीय जनभावना है कि पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ उठाया गया यह कदम निर्णायक होना चाहिए।
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सरकार भी इस भावना को गंभीरता से समझती है। इसलिए जिस तरह उसने सेनाध्यक्षों को निर्णय लेने की खुली छूट दी और सेना ने सूझबूझ से रणनीति तैयार की, उससे जाहिर है कि वह सधे कदम बढ़ाते हुए आतंकवाद को संरक्षण देने वालों को गहरे घाव देने के लिए प्रतिबद्ध है।