इसमें कोई दोराय नहीं कि इंटरनेट के विस्तार के मौजूदा दौर में शायद ही कोई क्षेत्र बचा है, जिसमें इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण नहीं हो गई हो। मगर जितने व्यापक स्तर पर इसके सकारात्मक उपयोग का दायरा बढ़ा है, उसी के समांतर कुछ ऐसे क्षेत्र भी अपने पांव फैला रहे हैं, जो न केवल सामाजिक ढांचे को और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि बड़ी संख्या में लोग मनोवैज्ञानिक रूप से भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

‘ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग’ यानी धन आधारित ऑनलाइन खेल एक ऐसा ही चलन है, जिसने अब मनोरंजन की सीमा को पार करते हुए पैसे कमाने के लालच से उपजी लत और आर्थिक नुकसान का जटिल स्वरूप ग्रहण कर लिया है। भारी तादाद में लोग इसके जाल में फंस रहे हैं और अपनी मेहनत की कमाई गंवा रहे हैं। इसे लेकर पिछले काफी समय से चिंता जताई जा रही है, लेकिन सरकार ने इस पर लगाम लगाने या इसे विनियमित करने के बजाय इसके दूरगामी असर की अनदेखी की। इसके नतीजे अब खुल कर सबके सामने आ रहे हैं और चिंता की वजह बन रहे हैं।

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इसकी वजह से होने वाले नुकसान का दायरा व्यापक होते जाने के बाद अब जाकर खुद सरकार ने भी माना है कि ‘ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग’ समाज के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है और इस पर लगाम लगाना वक्त की जरूरत है। अनुमान यह लगाया गया है कि धन-आधारित ऑनलाइन खेलों के चक्कर में करीब पैंतालीस करोड़ लोग हर वर्ष लगभग बीस हजार करोड़ रुपए गंवा देते हैं।

इसकी लत की वजह से अब तक सैकड़ों परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं। त्रासद पक्ष यह भी है कि इस लत की वजह से ऑनलाइन खेलों के जरिए लोग पैसे कमाने की भूख में लगातार हारते जाते हैं और बाद में कई लोग आत्महत्या और हिंसा जैसा गंभीर कदम भी उठा लेते हैं। इसके नुकसानों को लेकर चिंता पहले भी जताई जाती रही है, अब देर से सही, लेकिन सरकार ने गेमिंग उद्योग के एक हिस्से से मिलने वाले राजस्व के सवाल को फिलहाल पीछे छोड़ते हुए समाज कल्याण को प्राथमिकता देना तय किया है। इस क्रम में ऑनलाइन गेम को विनियमित करने एवं शैक्षिक और सामाजिक आनलाइन खेलों को बढ़ावा देने वाले एक विधेयक को लोकसभा में पारित कर दिया गया है।

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सही है कि सरकार आज धन आधारित ऑनलाइन गेमिंग को एक बड़ी बुराई बताते हुए इससे बचने की जरूरत बता रही है, मगर अफसोस की बात यह है कि जब ऐसे कथित खेल लोगों के बीच अपनी जगह बना रहे थे, उन्हें समाज से काट रहे थे और इसके बहुस्तरीय नकारात्मक नतीजे सामने आने लगे थे, तब इसके प्रति जताई जाने वाली फिक्र की अनदेखी की गई।

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अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि खुद सरकार ने 2023 में पैसे से जुड़े ऑनलाइन गेमिंग पर अट्ठाईस फीसद जीएसटी भी लगाया था। जबकि यह छिपा नहीं है कि ऑनलाइन गेमों की लत की वजह से कितने युवाओं के सोचने-समझने की प्रक्रिया में तेजी से बदलाव आया है। कई ऐसी खबरें भी आ चुकी हैं, जिनमें लगातार ऑनलाइन गेम खेलते रहने से मना करने पर कोई किशोर हिंसक हो गया और उसने या तो आत्महत्या कर ली या फिर किसी की जान ले ली।

इसलिए इसके मनोवैज्ञानिक पहलुओं को भी समझने की जरूरत है। धन-आधारित ऑनलाइन गेम को वैसे भी व्यवहार में जुए से अलग रूप में देखना मुश्किल है। मगर इस तक आसानी से पहुंच की वजह से इसका स्वरूप ज्यादा जटिल हो जाता है।