पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश के लोगों में पाकिस्तान के प्रति आक्रोश स्वाभाविक था। मगर सवाल है कि क्या ऐसे आक्रोश को किसी उन्माद में तब्दील होने की इजाजत दी जा सकती है, जो अपने ही देश के जिम्मेदार अधिकारी और उनके परिवार के खिलाफ आक्रामक दुर्व्यवहार पर उतर आए? भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष संबंधी सूचनाएं आधिकारिक रूप से देश के विदेश सचिव के रूप में विक्रम मिसरी लोगों तक पहुंचा रहे थे।
सोशल मीडिया पर जमकर अपमानजनक बातें कही गईं
एक तरह से वे देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सामूहिक प्रयासों का एक हिस्सा हैं। मगर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम की सूचना जारी करने के बाद उन्हें और उनके परिवार को सोशल मीडिया के जरिए निहायत फूहड़, आक्रामक अभद्रता और धमकियों का सामना करना पड़ा। उनकी बेटी के संपर्क को सार्वजनिक कर दिया गया।
सवाल है कि जिन लोगों ने विदेश सचिव और उनके परिवार के खिलाफ इस हद तक आनलाइन दुर्व्यवहार किया, क्या उन्हें कहीं से भी देश के प्रति निष्ठा और कर्तव्य भाव रखने वाला माना जा सकता है? इन्हीं लोगों ने पहलगाम में मारे गए नौसेना अधिकारी की पत्नी के खिलाफ भी अशोभन टिप्पणियां की थी।
इन घटनाओं के जोखिमों को देखते हुए ही कई नेताओं और पूर्व राजनयिकों ने एकजुट होकर विदेश सचिव का समर्थन किया है। साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस पर गहरी चिंता जताई और इसकी सख्त निंदा की है। पहलगाम में आतंकवादियों के बर्बर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर जो कार्रवाई की, वह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी। इसका अर्थ है कि आतंकवादियों के खिलाफ कोई भी नरमी नहीं बरती जाएगी।
मगर भारत सरकार ही अंतिम प्राधिकार है, जो यह तय करेगी कि आतंकवादियों के विरुद्ध कैसी प्रतिक्रिया हो। भारत की कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने अनुचित तरीके से गोलाबारी की, तो भारत ने उसका भी उचित जवाब दिया। विडंबना यह है कि आनलाइन दुर्व्यवहार करने वालों की कई बार अनदेखी कर दी जाती है। जबकि ऐसे लोगों से कानून के दायरे में उचित तरीके से निपटने की जरूरत है, ताकि इंटरनेट की दुनिया सच्चे लोगों के लिए सुरक्षित हो।