राजनेता बाबा सिद्दीकी की मुंबई में जिस तरह हत्या कर दी गई, उससे एक बार फिर महाराष्ट्र की कानून-व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा है। इस हत्याकांड को लेकर आरोपों के घेरे में जिस तरह के लोग आ रहे हैं, उससे यह भी जाहिर हुआ है कि जेल में बंद कोई अपराधी कैसे आपराधिक साजिशों को आसानी से अंजाम दे लेता है और पुलिस लाचार देखती रहती है। बाबा सिद्दीकी अजीत पवार की अगुआई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के ऐसे नेता थे, जिनकी राज्य की राजनीति और फिल्म उद्योग में खासी पकड़ और पैठ थी।
सवाल है कि जब इतने ऊंचे कद के नेता की सरेआम हत्या करने में अपराधियों को कोई खास बाधा पेश नहीं आई, तो आम लोग किस आधार पर खुद को सुरक्षित मानें। पकड़े गए आरोपियों के जरिए सामने आ सके ब्योरे यह बताने के लिए काफी हैं कि वारदात को अंजाम देते हुए उनके भीतर पुलिस और कानूनी कार्रवाई का कोई खौफ नहीं था। इससे सबसे चौकस मानी जाने वाली मुंबई पुलिस की कुशलता पर भी सवाल उठे हैं।
लारेंस बिश्नोई गैंग का हाथ होने की आशंका
कहा जा रहा है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे लारेंस बिश्नोई गिरोह का हाथ हो सकता है। अगर यह खबर सच है, तो यह समूची कानून-व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करती है कि जेल में बंद एक अपराधी कैसे अंदर बैठ कर बाहर किसी जानी-मानी हस्ती की हत्या कराने में कामयाब हो जाता है। आखिर क्या वजह है कि इस तरह के अपराध को अंजाम देने वालों पर काबू पाने में पुलिस या संबंधित महकमे नाकाम साबित हो रहे हैं?
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पहले भी खबरें आ चुकी हैं कि लारेंस बिश्नोई और उसका गिरोह किस तरह देश-विदेश में फैले अपने संगठित तंत्र के जरिए बड़ी-बड़ी वारदात कराता है। विडंबना है कि ऐसी खबरें सरेआम फैली होने के बावजूद अलग-अलग राज्यों में कानून-व्यवस्था का मोर्चा संभालने वाली पुलिस को उसे रोक पाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही। अगर किसी दुर्दांत अपराधी को जेल में रहकर भी मनमानी करने का अवसर मिल जाता है, तो यह वास्तव में कानून-व्यवस्था लागू कराने वालों की कार्यक्षमता पर तीखा सवाल है।