करीब सात महीने पहले इजराइल पर हमास के हमले के बाद दोनों पक्षों के बीच टकराव की वजह से गाजा पट्टी में आम लोगों की जिंदगी किस दशा में चली गई है, यह सभी जानते है। इस युद्ध के दौरान त्रासदी का स्तर लगातार ज्यादा गहराते जाने के दौर में कई तरफ से युद्ध विराम के लिए इजराइल पर दबाव बनाने की कोशिशें चल रही थीं। यहां तक अमेरिका भी अपने करीबी सहयोगी से युद्ध को रोकने की उम्मीद कर रहा था। मगर इजराइल का रुख स्पष्ट बना रहा कि वह हमास पर हमले में कोई नरमी नहीं बरतेगा।

शांति की उम्मीदों को लगा गहरा झटका

इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध विराम की मांग की जा रही थी। अब ईरान में हमास प्रमुख इस्माइल हनियेह की जिस तरह हत्या कर दी गई और हमास के मिलिट्री कमांडर मोहम्मद दिएफ के भी मारे की जाने की खबर आई है, उससे न केवल शांति की उम्मीदों को गहरा झटका लगा है। खुद ईरान ने भी हनियेह की मौत का बदला लेने की बात कही है।

हालांकि अमेरिका ने दोनों पक्षों से तनाव कम करने की गुजारिश की है और ईरान पर जवाबी कार्रवाई न करने का दबाव बढ़ाया है। मगर उसकी अनदेखी कर अगर ईरान ऐसा कोई कदम उठाता है, तो उसके नतीजों का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। दरअसल, हनियेह की मौत के बाद समूचे मध्यपूर्व में जिस स्तर का तनाव उभरा है, वह कभी भी कोई चिंताजनक शक्ल अख्तियार कर ले सकता है। आशंकाएं यहां तक जताई जाने लगी हैं कि हनियेह की मौत के बाद उपजे हालात में अब ईरान इजराइल पर सीधा हमला भी कर सकता है।

अगर ऐसा होता है तो अब तक केवल इजराइल और हमास के बीच सिमटे टकराव की आग में कई अन्य देश खुद को उलझा हुआ पाएंगे। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि अगर युद्ध एक बार शुरू हो जाता है तब उसके बाद उसके अंत का स्वरूप शांति चाहने वाले समुदायों और देशों की इच्छा के अनुरूप नहीं होता है। इसलिए इजराइल ने हमास को सबक सिखाने का नाम लेकर जो जिद पकड़ ली है, उसने दुनिया के एक बड़े हिस्से को चिंतित कर दिया है। संघर्ष विराम की उम्मीदों के बीच समूचे मध्य पूर्व में इस तनाव के गहराने और युद्ध के नए मुहाने खुल जाने की आशंका बढ़ गई है।