तकनीकी संसाधनों पर निर्भरता बढ़ते जाने से व्यवसाय-वाणिज्य, निजी और दफ्तरी कामकाज में तेजी तो आई है, मगर इसमें एक खराबी किस कदर दुनिया की सारी रफ्तार रोक देती है, इसका ताजा उदाहरण माइक्रोसाफ्ट के नए साफ्टवेयर में आई गड़बड़ी है। माइक्रोसाफ्ट के सर्वर में गड़बड़ी आने से दुनिया भर के दफ्तरों में कामकाज लगभग ठप्प हो गया, रफ्तार थम गई। विभिन्न देशों में चौदह सौ से ऊपर हवाई सेवाएं रद्द करनी पड़ीं और हजारों हवाई जहाज देरी से उड़ पाए। टेलीविजन प्रसारण, बैंक सेवाओं, शेयर बाजार के कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुए। हालांकि माइक्रोसाफ्ट के इंजीनियर इस गड़बड़ी को सुधारने में जुट गए, मगर इतने भर से दुनिया भर में अरबों रुपए का कारोबार प्रभावित हो गया। दरअसल, माइक्रोसाफ्ट ने एक नया साफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे उपभोक्ताओं को तेज, सुविधाजनक और सुरक्षित सेवा देने का दावा किया गया था। यह साफ्टवेयर क्लाउड सेवा से जुड़ा हुआ है। उसमें क्राउड स्ट्राइक नामक साइबर सेंधमारी से सुरक्षा प्रदान करने वाले ‘एंटीवायरस’ को अद्यतन किया गया, तभी से गड़बड़ी शुरू हो गई। कंप्यूटर अपने आप बंद और चालू होने लगे। इससे माइक्रोसाफ्ट कंपनी की साख पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
हालांकि कुछ महीने पहले एलन मस्क ने भी माइक्रोसाफ्ट के ‘एज’ नामक नए साफ्टवेयर की व्यावहारिकता पर सवाल उठाया था। उन्होंने एक्स पर लिखा था कि यह साफ्टवेयर अव्यावहारिक है, जो कई कंप्यूटरों से एक साथ जुड़ जाता है और इस तरह इसकी सुरक्षा विश्वसनीय नहीं रह जाती। मगर तब माइक्रोसाफ्ट की तरफ से जवाब में कहा गया था कि यह साफ्टवेयर उपभोक्ता को कहीं भी बैठ कर आसानी से काम करने की सुविधा देता है। इसमें सेंधमारी का खतरा नहीं रहता। अब फिर से इस साफ्टवेयर की विश्वसनीयता संदिग्ध हो गई है। फिलहाल यह दावा करना मुश्किल है कि किसी साइबर अपराधी ने ऐसी गड़बड़ी पैदा की, पर ऐसी हरकत से इनकार नहीं किया जा सकता। जैसे-जैसे इलेक्ट्रानिक उपकरणों पर लोगों की निर्भरता बढ़ती गई है, वैसे-वैसे इसके खतरे भी बढ़ते गए हैं। साइबर सेंधमार लोगों के बैंक खातों, दफ्तरों के दस्तावेजों, कंपनियों के लेखा-जोखा वगैरह में सेंधमारी करने लगे हैं। हर इलेक्ट्रानिक उपकरण निर्माता कंपनी साइबर सेंधमारी रोकने के लिए वायरसरोधी उपाय करती है। जो कंपनी इसमें पिछड़ जाती है, वह बाजार में भी पिछड़ जाती है। माइक्रोसाफ्ट ने भी इसी समस्या से बचाने के लिए नई तकनीक ईजाद करने का दावा किया था।
हर नई तकनीक में प्रायोगिक स्तर पर कुछ न कुछ अड़चन आती है। मगर जब कोई भरोसेमंद कंपनी अपने किसी उत्पाद को बड़े पैमाने पर बाजार में उतारती है, तो पहले यह सुनिश्चित कर लेती है कि वह पूरी तरह कारगर है। न जाने कैसे माइक्रोसाफ्ट से यह चूक हो गई कि इस साफ्टवेयर को लेकर आ रही शिकायतों को नजरअंदाज करते हुए इसे बाजार में चलाए रखा। माइक्रोसाफ्ट एज नामक तकनीक उपयोगी और सुविधाजनक हो सकती है, मगर पूरी तरह भरोसेमंद बन जाने से पहले उसे बाजार में इतने बड़े पैमाने पर नहीं वितरित किया जाना चाहिए था। जिस एंटीवायरस की वजह से ताजा समस्या आई बताई जा रही है, उसके परीक्षण में भी कही न कहीं चूक हुई। इस साफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते सिर्फ कुछ देर में जिस तरह दुनिया भर में करोड़ों लोगों को परेशानियां और व्यावसायिक संगठनों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, उसकी भरपाई होना मुश्किल है।