प्रयागराज के त्रिवेणी संगम का समूचा इलाका अब कुंभ मेले से गुलजार हो चुका है और पहले दिन वहां से लगभग डेढ़ करोड़ लोगों के स्नान करने की खबर आई। मेला स्थल के आसपास एक बड़े हिस्से में जितनी तादाद में तंबू लगाए गए हैं, उसमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों के टिकने की व्यवस्था है, जो किसी शायद किसी छोटे देश की आबादी से भी ज्यादा हो। जाहिर है, इसके साथ ही सबसे बड़ी चुनौती और जिम्मेवारी सरकार के सामने है कि वह इस मेले में व्यवस्थागत इंतजामों के मोर्चे पर कितनी चौकस है और वहां पहुंचने वाले लोगों को कितनी सुविधा होती है।
यों, करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले कुंभ मेले को ज्यादा से ज्यादा सहज बनाने के लिए हर स्तर पर बेहतर व्यवस्था करने की जैसी खबरें आई हैं, उससे उम्मीद बंधती है कि इस बार साधु-संतों से लेकर श्रद्धालुओं तक को कोई दिक्कत नहीं होगी। फिर भी करोड़ों लोगों की मौजूदगी की वजह से जैसे हालात पैदा होंगे, उसमें सब कुछ को ठीक बनाए रखने के लिए हर स्तर पर बहुत ज्यादा चौकसी की जरूरत होगी।
सुरक्षा और सेहत की देखभाल के लिए आधुनिक तकनीक
इसके मद्देनजर इस बार सरकार ने न केवल प्रशासनिक स्तर पर भीड़ प्रबंधन को लेकर बेहतर तौर-तरीके आजमाने का दावा किया है, बल्कि लोगों की सुरक्षा और सेहत की देखभाल के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल भी हर जगह किया गया है। मसलन, पिछले कुछ समय से सुर्खियों में आई कृत्रिम मेधा यानी एआइ मेले की व्यवस्था को कई स्तर पर सहज और सुरक्षित बनाने में मददगार साबित हो रही है।
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बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ के प्रबंधन के लिए एआइ से लैस कैमरे, ड्रोन और मोबाइल ऐप से निगरानी का सहारा लिया जाएगा। इसके अलावा, प्रशासनिक चौकसी के बीच ड्रोन शो के साथ-साथ आभासी तकनीकी के जरिए गंगा आरती और दूसरे कार्यक्रमों को देखने की भी सुविधा है, ताकि अराजकता जैसी स्थिति न पैदा हो। कहा जा सकता है कि करोड़ों लोगों की कुंभ यात्रा को कामयाब बनाने के लिए सरकार और प्रशासन ने मोर्चा थामा हुआ है, मगर यह भी सच है कि आपात स्थिति का अंदाजा किसी को नहीं होता और पूर्व तैयारी की जरूरत इसीलिए होती है।
कुंभ में हर मोर्चे पर इंतजाम
यह जगजाहिर हकीकत रही है कि धार्मिक स्थलों पर किसी छोटी लापरवाही से कई बार जैसी अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है, उसका लोगों को बड़ा खमियाजा उठाना पड़ता है। इसलिए संसाधनों के व्यापक इंतजाम का सवाल एक ओर होता है और उनके ठीक समय पर कारगर तरीके से इस्तेमाल का मामला दूसरी ओर। इसी पर बहुत कुछ निर्भर करता है कि सुरक्षा व्यवस्था किस हद तक उपयोगी साबित हुई। कुंभ जैसे बड़े आयोजनों के दौरान एक दुखद पहलू यह भी रहा है कि मेले में कई बार बच्चों के गुम होने और परिवार के लोगों के एक दूसरे से बिछड़ जाने की कई शिकायतें दर्ज की जाती हैं।
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तमाम सुरक्षा व्यवस्था और आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल का लाभ तभी है, जब किसी गंभीर समस्या के सामने आने पर उसका ठीक समय पर हल निकले। आम श्रद्धालु वहां संगम में डुबकी लगाने आते हैं और उनके साथ मेले को देखने से लेकर धर्म और आस्था से जुड़ी तमाम तरह की उम्मीदें होती हैं। इसमें कोई दोराय नहीं कि करोड़ों लोगों के जमावड़े से उत्पन्न स्थिति का प्रबंधन और कामयाबी से उसे संभाल ले जाना एक बहुत बड़ी जिम्मेवारी है, मगर इस वर्ष कुंभ में हर मोर्चे पर जैसे इंतजाम किए गए हैं, उसमें उम्मीद की जा सकती है कि आस्था की डुबकी श्रद्धालुओं के लिए एक सुखद अनुभव साबित होगी।