दिल्ली के नरेला इलाके में एक फैक्टरी की लिफ्ट के टूट कर तीस फुट की ऊंचाई से गिरने और उसमें एक मजदूर की मौत को फिर एक हादसा ही मान लिया जाएगा। मगर पिछले कुछ समय से दिल्ली सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों से बहुमंजिला इमारतों में लिफ्ट गिरने की जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे साफ है कि इसके पीछे लापरवाही और व्यापक भ्रष्टाचार है।

यह कैसे संभव हो पाता है कि ज्यादा ऊंचाई वाली इमारतों में आवाजाही की सुविधा के लिए लिफ्ट तो लगा दी जाती है, मगर उसके रखरखाव को लेकर इस कदर लापरवाही बरती जाती है कि किसी तकनीकी गड़बड़ी की वजह से हादसा होता है और नाहक ही लोगों की जान चली जाती है। नरेला में जिस फैक्टरी में लिफ्ट गिरने की घटना हुई, वहां एक अहम सवाल यही है कि दिल्ली में फिलहाल निर्माण कार्यों पर रोक का नियम लागू है, तब वहां फैक्टरी में मरम्मत का काम कैसे चल रहा था! फिर उस लिफ्ट के सहारे काम क्यों जारी रखा गया था, जो पहले ही कमजोर और टूट कर गिर जाने की हालत में पहुंच चुकी थी?

सच यह है कि पिछले कुछ समय से दिल्ली और नोएडा में बहुमंजिला इमारतों में लिफ्ट गिरने और उनमें लोगों की मौत की जितनी भी घटनाएं सामने आई हैं, वे आमतौर पर व्यवस्थागत लापरवाही और लिफ्ट लगाने के दौरान उसकी खराब गुणवत्ता से समझौता करने वजह से हुईं लगती हैं। सवाल है कि जिस वक्त किसी इमारत में लिफ्ट लगाई जाती है, तब इसकी पड़ताल करने में कोताही क्यों की जाती है कि लोगों के आने-जाने के लिहाज से यह पूरी तरह सुरक्षित है या नहीं?

कोई भी लिफ्ट अचानक नहीं गिरती है, बल्कि उसके उस हालत में पहुंचने की भूमिका पहले ही बन चुकी होती है। या तो इसका ध्यान नहीं रखा जाता कि लिफ्ट गुणवत्ता की कसौटी पर कितनी सुरक्षित है या फिर जिन इमारतों में इसे लगाया जाता है, उसके प्रबंधन इसकी जांच-परख करने की जरूरत नहीं समझते। आमतौर पर बहुमंजिला इमारतों में घर लेने की इच्छा रखने वाले लोगों को वहां मौजूद सुविधाएं गिनाते हुए ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए सुरक्षित लिफ्ट पर खासतौर पर जोर दिया जाता है। ऐसा करके ऊंची कीमतों पर भी फ्लैट की बिक्री को आसान तो बना लिया जाता है, मगर उसमें लोगों के अपने घर में पहुंचने के लिए सुरक्षित आवाजाही और बेहतरीन गुणवत्ता वाली लिफ्ट लगाना सुनिश्चित नहीं किया जाता।

नतीजतन, कई बार लोग लिफ्ट को पूरी तरह दुरुस्त मान कर उसमें अपने घर या गंतव्य की ओर जा रहे होते हैं, मगर हादसे का शिकार हो जाते हैं। बीते हफ्ते ही नोएडा में एक इमारत की आठवीं मंजिल से एक लिफ्ट गिर गई, जिसमें कई लोग बुरी तरह घायल हो गए। पिछले कुछ महीनों के दौरान लगातार कई ऐसे हादसों में लोगों की मौत की वजह से ही हालत यह है कि बहुमंजिला सोसाइटियों में रहने वाले लोग अब लिफ्ट से आने-जाने के दौरान एक डर से गुजर रहे होते हैं कि कब यह टूट कर गिर जाए या बीच में ही बंद हो जाए।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस संबंध में एक सख्त कानून बनाने की बात कही है, मगर जरूरत इस बात की है कि हर स्तर पर सुरक्षित होने की कसौटी पर खरा उतरने के बाद ही किसी इमारत में लिफ्ट लगाई जाए और उसके रखरखाव को लेकर कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाए। हादसे के बाद होने वाली जांच या कार्रवाई से नाहक जान गंवाने वाले लोगों का जीवन वापस नहीं लाया जा सकता।