खालिस्तान की मांग पिछले कुछ समय से फिर सिर उठाने लगी है। हालांकि पंजाब में अब इसकी बुनियाद नहीं बची है, मगर विदेशों में रह रहे कुछ आपराधिक वृत्ति के लोग इसे धार्मिक रंग देकर फिर से जिंदा करने के प्रयास में लगे हैं। ऐसे लोगों पर भारत की सुरक्षा एजंसियों की लगातार नजर बनी हुई है। अब ऐसे ज्यादातर लोगों की पहचान भी उजागर है, जो अलग खालिस्तान बनाने की मांग की आड़ में सीमा पार से हथियार और मादक पदार्थों की तस्करी, जबरन वसूली तथा आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भारत में अपने सहयोगियों की भर्ती कर रहे हैं।
राष्ट्रीय जांच एजंसी यानी एनआइए ने अभी तीन ऐसे चरमपंथियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है, जो बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़े हैं। इसके अलावा इन संगठनों से जुड़े छह अन्य सहयोगियों को भी नामजद किया है, जो इनके लिए धन जुटाने का काम करते थे। ये संगठन विदेश से संचालित होते हैं। कुछ साल पहले तक ये संगठन यूके, कनाडा आदि में आधार बना कर खालिस्तान के समर्थन में गतिविधियां चलाया करते थे, मगर अब उन्होंने पंजाब में अपना आधार मजबूत करने के मकसद से वहां के युवाओं को गुमराह करना शुरू कर दिया है।
अमृतपाल सिंह इसका हाल का उदाहरण है, जिसने विदेश से संचालित हो रहे खालिस्तान समर्थक संगठन के उकसावे पर पंजाब में युवाओं को गुमराह करना शुरू किया था। कुछ ही समय में उसने अपना एक मजबूत दस्ता बना लिया और लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़का कर खालिस्तान की मांग उठानी शुरू कर दी थी।
हिंसक गतिविधियों के चलते जब उसके एक समर्थक को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उसने भारी संख्या में लोगों को लेकर अजनाला थाने पर हमला कर दिया था। फिर पुलिस ने उस पर शिकंजा कसना शुरू किया। कुछ दिन तक वह छिप कर भागता फिरा, मगर आखिरकार पुलिस के सामने समर्पण कर दिया। तबसे पंजाब में फिर कोई इस तरह का उपद्रव देखने को नहीं मिला है।
अब एनआइए ने विदेश में बैठे कुछ अलगाववादियों को निशाने पर लिया है, तो जाहिर है, इस तरह की गतिविधियों में लगे संगठनों और उनसे जुड़े सहयोगियों का मनोबल और कमजोर होगा। खालिस्तान की मांग उठाने वाले कई संगठन हैं, जो यूके आदि में सक्रिय हैं और पिछले दिनों उन्होंने भारत की छवि को धूमिल करने वाले कुछ ऐसे कार्यक्रम किए, जिस पर भारत सरकार ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई और वहां की सरकार ने इसे गंभीरता से लिया। इस तरह अब ऐसे संगठनों पर चौतरफा वार की कोशिश की जा रही है।
खालिस्तान की मांग उठाने वाले कुछ संगठनों का संबंध पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से होने के सबूत भी उजागर हैं। छिपी बात नहीं है कि ये संगठन सीमावर्ती पंजाब में मादक पदार्थ और हथियारों की तस्करी में भी सहयोग करते हैं। इस दृष्टि से ये संगठन भारत-विरोधी गतिविधियों को हवा देने में लगे हैं। यह बात पंजाब के लोग तो समझ ही चुके हैं, जिसकी वजह से इन संगठनों की पैठ वहां नहीं बन पा रही।
दूसरे, सुरक्षा एजंसियों की सक्रियता के चलते उनकी पहुंच नहीं बन पा रही, हालांकि भारत में अपने सहयोगियों को वे भरपूर धन उपलब्ध कराने का लोभ देते रहते हैं। अब उनकी भारत विरोधी गतिविधियों के तथ्य उनसे संबंधित सरकारों के सामने भी प्रकट हैं। अगर वे सरकारें सहयोग करेंगी, तो एनआइए के लिए नामजद अपराधियों को काबू में करना आसान हो जाएगा।