दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार का यह दावा रहा है कि उसने यहां स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधार किए हैं और आम जनता को इसका बहुत ज्यादा लाभ मिला है। मगर अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिनसे पता चलता है कि सरकार के दावों के बरक्स जमीन पर हकीकत बहुत अलग है। खासतौर पर दिल्ली के अस्पतालों की हालत यह है कि किसी मरीज को समय पर इलाज नहीं मिल पाया, उसे अलग-अलग अस्पतालों में भटकना पड़ा और आखिर इसी वजह से उसकी जान चली गई।

गौरतलब है कि दिल्ली के हरिदास नगर इलाके में एक क्लस्टर बस की टक्कर से बुरी तरह घायल एक युवक को लेकर उसके परिजन एम्स के स्वास्थ्य केंद्र, दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल में भटकते रहे, मगर इलाज नहीं मिल पाया। हार कर उन्होंने युवक को जब एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब तक तीन घंटे से ज्यादा वक्त गुजर गया था। इस बीच युवक की हालत इतनी बिगड़ गई कि आखिर उसने दम तोड़ दिया। युवक इतनी देर तक बचा रहा तो इससे साफ है कि अगर उसे समय पर उचित इलाज मिल जाता तो वह जिंदा बच जाता। मगर बढ़-चढ़ कर किए जाने वाले दावों की हकीकत यह है कि आपात स्थिति में होने के बावजूद सही वक्त पर इलाज नहीं मिल सका और युवक की जान चली गई।

दिल्ली में पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले

ऐसा नहीं है कि यह इस तरह का कोई अकेला मामला है। इससे पहले जनवरी और अप्रैल में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जब आपात अवस्था में अलग-अलग मरीजों को अस्पतालों में भटकने पर मजबूर होना पड़ा और इसी क्रम में हुई देरी की वजह से आखिर उसकी मौत हो गई।

कहने को देश की राजधानी दिल्ली में बड़े और बहुत अच्छे अस्पताल हैं, लेकिन आपात अवस्था में जान बचाने की भूख में पहुंचे किसी व्यक्ति के इलाज के लिए कहीं चिकित्सक उपलब्ध नहीं हो पाती, तो कहीं बिस्तर या फिर चिकित्सीय उपकरणों की कमी के दुश्चक्र में फंस कर उसकी जान चली जाती है। इस अफसोसनाक तस्वीर के रहते दिल्ली के स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के दावों को कैसे देखा जाएगा?