सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति का आचरण बहुत मायने रखता है। मगर विचित्र है कि बहुत सारे राजनेता इस तकाजे का ध्यान रखना जरूरी नहीं समझते। कर्नाटक में हासन सीट से जनता दल (सेक्युलर) के सांसद प्रज्वल रेवन्ना इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। उन पर करीब तीन हजार महिलाओं का यौन शोषण करने, उन्हें धमकाने और प्रताड़ित करने के गंभीर आरोप हैं।
उनके दुराचार के वीडियो सार्वजनिक हुए और मामला तूल पकड़ने लगा तो उसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने विशेष जांच दल गठित कर दिया। जांच दल का गठन होते ही रेवन्ना देश छोड़ कर भाग गए। बताया जा रहा है कि वे यहां से सीधे जर्मनी गए और वहां से यूरोप के किसी देश में छिप गए हैं। इस बार रेवन्ना भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़े थे।
इसलिए विपक्षी दलों ने न केवल जद (सेकु), बल्कि भाजपा और प्रधानमंत्री पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है। इस राजनीतिक विवाद के बीच जद (सेकु) की कोर समिति ने रेवन्ना को पार्टी से निलंबित कर दिया है। मगर लगता नहीं कि इतने भर से जद (सेकु) और भाजपा को कोई राहत मिलने वाली है, क्योंकि रेवन्ना पर लगे आरोप बहुत गंभीर और महिलाओं के सम्मान से जुड़े हैं।
हालांकि रेवन्ना ने सार्वजनिक हुए सारे वीडियो को फर्जी और साजिश के तहत तैयार किया बताया है। बताया जा रहा है कि चुनाव से कुछ दिनों पहले ये वीडियो पेन ड्राइव में भर कर बड़ी तेजी से लोगों के बीच फैलाए जाने लगे। मगर मामले पर कानूनी कार्रवाई के लिए कदम तब उठाया गया जब रेवन्ना के घर में काम करने वाली एक अधेड़ सहायिका ने उसके और उसके पिता के खिलाफ आरोप लगाया।
प्रज्वल रेवन्ना के पिता भी जद (सेकु) से विधायक हैं। हालांकि इन मामलों के बारे में जानकारी लोगों को बहुत पहले से थी। भाजपा के एक नेता ने तो कहा है कि उन्हें एक वर्ष पहले ही ये वीडियो उपलब्ध हो गए थे और उन्होंने रेवन्ना को चुनावी टिकट देने से केंद्रीय समिति को रोका था, मगर उस पर ध्यान नहीं दिया गया। यह भी जानकारी आई है कि रेवन्ना खुद करीब एक वर्ष पहले इसी मामले में अदालत से स्थगन आदेश ले आए थे। यानी मामला बिल्कुल ताजा नहीं है। हैरानी की बात है कि न केवल इस प्रकरण को दबा-छिपा कर रखा गया, बल्कि रेवन्ना को फिर से लोकसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया गया।
यह बेहद भयावह है कि रेवन्ना ने किसी भी आयु और वर्ग की महिला को नहीं बख्शा। घरेलू सहायिकाओं, सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों, पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर हर तरह की महिलाओं का यौन शोषण किया। वे खुद इसलिए अपनी घिनौनी हरकत का वीडियो बनाते थे, ताकि उनके आधार पर वे उन महिलाओं को डरा-धमका कर चुप रहने को बाध्य कर सकें।
हालांकि यह किसी राजनेता या रसूखदार व्यक्ति का पहला और अकेला मामला नहीं है, मगर चिंताजनक बात यह है कि एक व्यक्ति खुद सांसद रहते हुए ऐसा वीभत्स कृत्य कर रहा था। राजनेता सार्वजनिक मंचों से महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की बातें करते नहीं थकते, मगर जब उन्हीं के बीच ऐसा कोई व्यक्ति नजर आने लगता है, तो उसे बचाने या ढंक-छिपा कर रखने का प्रयास करने लगते हैं। अब देखना है कि केंद्र और राज्य सरकार किस तरह मामले की निष्पक्ष जांच कराती तथा रेवन्ना को वापस लाकर उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करती हैं।