अरब सागर में पाकिस्तान की तरफ से आई संदिग्ध नौका के विस्फोट से नष्ट हो जाने को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच पैदा हुई राजनीतिक तल्खी का बड़ा कारण सही तरीके से जांच किए बगैर सनसनी पैदा करने वाली सूचना का प्रसारित किया जाना था। उस नौका पर भारतीय तटरक्षकों को इसलिए संदेह हुआ कि उस पर सवार लोगों का पहनावा मछुआरों जैसा नहीं था, फिर उस नौका की रफ्तार निर्धारित गति से करीब दो गुना अधिक थी। जब भारतीय तटरक्षकों ने उसे रोकना चाहा तो उसने अपना रुख बदल लिया और कुछ दूर जाकर उसमें विस्फोट हो गया। इससे संदेह जताया गया कि नौका में विस्फोटक भरे थे और जब उसमें सवार लोगों को लगा कि वे पकड़े जाएंगे तो उन्होंने नाव में विस्फोट कर दिया। केंद्र सरकार ने कहा कि पाकिस्तानी आतंकवादी नए साल पर मुंबई विस्फोट जैसी घटना दोहराना चाहते थे। चूंकि इस दौरान प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ‘वाइब्रेंट गुजरात’ महोत्सव की तैयारियां चल रही हैं, सरकार ने मान लिया कि पाकिस्तानी आतंकवादी उसमें खलल डालने की नीयत से आए थे। इसकी स्वाभाविक प्रतिक्रिया हुई। पाकिस्तान ने इस सनसनीखेज बयान का तीखा विरोध किया और बदले में भारतीय मछुआरों के दो नौकाओं को पकड़ लिया। ऐसे में कांग्रेस का यह पूछना गलत नहीं कहा जा सकता कि विस्फोट में नष्ट हुई नौका के बारे में लोगों को सही जानकारी दी जानी चाहिए। अगर उस नाव में सचमुच आतंकवादी थे तो सरकार को उस संगठन का नाम भी जाहिर करना चाहिए, जिससे उनका ताल्लुक था। मगर भाजपा ने इसे राष्ट्र-विरोधी मांग करार दे दिया। यह ठीक है कि आंतरिक सुरक्षा के मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए, मगर संदिग्ध नौका के मामले में सिर्फ इस तर्क पर मौन रहना सही नहीं था।
आतंकवाद के मसले पर भारत और पाकिस्तान के बीच जैसा तनातनी का माहौल बना रहता है, उसमें आपसी रिश्तों को सुधारने के लिए बहुत सोच-समझ कर कदम उठाए जाने की अपेक्षा की जाती है। बगैर पुख्ता सबूत के पाकिस्तान पर आरोप मढ़ देने से स्थितियां बिगड़ती ही हैं। रक्षा मंत्रालय से यह उम्मीद बेमानी नहीं कही जा सकती कि वह पहले नौका के बारे में सही जानकारी जुटाता। अगर सचमुच उस नौका में विस्फोटक भरे थे और उसका संचालन आतंकवादी कर रहे थे तो वे तटरक्षकों के ललकारने या रोकने पर इस तरह पलायन न करते। अगर वे फिदायीन होते तो उन्हें हमला करने में हिचक नहीं होती। तटरक्षक बलों को चुनौती देना उनके लिए शायद इतना कठिन नहीं था। अगर तटरक्षक बलों को लगा कि उस नाव में आतंकवादी हैं तो उन्होंने जलसेना को सूचित क्यों नहीं किया। इन पहलुओं पर गौर करना मुश्किल नहीं था। हालांकि अभी तक उस नाव के निशान बरामद नहीं हो पाए हैं, मगर कुछ चीजें साफ हो गई हैं कि उस नाव में मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले सवार थे। यह भी पहली बार नहीं था जब तस्करों ने इस तरह भारतीय समुद्री सीमा में घुसपैठ की कोशिश की। इसलिए संदिग्ध नौका के बारे में सूचना जारी करते वक्त सरकार से संयम की अपेक्षा थी। पाकिस्तान को लेकर भारत में बहुत सारी गलत धारणाएं बनी हुई हैं, ऐसी सनसनीखेज खबरें उन्हें और गाढ़ा करती हैं। जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो पाकिस्तान के साथ-साथ सभी पड़ोसी देशों से मधुर संबंध बनाने का भरोसा दिलाया था। मगर अब खासकर पाकिस्तान के मामले में इसका उलट हो रहा है। बेवजह युद्ध जैसी स्थिति पैदा करके अपनी रक्षा संबंधी तैयारियों का उल्लेख करते रहना एक शांतिप्रिय देश का तरीका नहीं हो सकता।
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