ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के बोंडी समुद्र तट पर आतंकी हमले से फिर यही साबित हुआ है कि वैश्विक स्तर पर तमाम आतंकरोधी कवायदों के बावजूद अब भी इस समस्या से पार पाना एक बड़ी चुनौती है।

हथियारों से लैस पिता और पुत्र ने बोंडी समुद्र तट के पास हनुका नामक कार्यक्रम के लिए जमा हुए यहूदी समुदाय के लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें पंद्रह लोग मारे गए और कई घायल हो गए। पुलिस के वहां पहुंचने पर हुई मुठभेड़ में एक हमलावर मारा गया और दूसरा घायल अवस्था में गिरफ्तार किया गया।

गनीमत यह रही कि वहां मौजूद एक अन्य साधारण व्यक्ति ने अपनी जान जोखिम में डाल कर एक बंदूकधारी पर हमला कर दिया और उसकी बंदूक छीन ली। इस तरह उसने कई लोगों की जान बचा ली। माना जा रहा है कि इस आतंकी घटना के पीछे हमलावरों के भीतर यहूदी विरोध की भावना थी। पिछले कुछ समय से आस्ट्रेलिया में यहूदी विरोेधी भावनाओं के जोर पकड़ने को लेकर चिंताएं जताई जा रही थीं।

विश्व भर में आतंकी वारदात की प्रकृति में बदलाव आया

गौरतलब है कि विश्व भर में आतंकी वारदात की प्रकृति में बदलाव आया है और आतंकियों के भीतर आम नागरिकों को निशाना बनाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इसके बावजूद आस्ट्रेलिया की सरकार ने एक खास मौके पर ज्यादा लोगों के जमावड़े वाली जगह पर एहतियाती सुरक्षा इंतजाम पुख्ता रखने की जरूरत नहीं समझी।

यह सवाल इसलिए भी गंभीर है कि हाल के दिनों में आस्ट्रेलिया में कई स्तर पर नस्लीय आग्रहों के आधार पर हमले और विरोध के मामले सामने आते रहे हैं। यों भी, अपने नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर हर समय चाक-चौबंद इंतजाम रखना सरकार का दायित्व है, लेकिन सरेआम अंधाधुंध गोलीबारी की ताजा घटना से साफ है कि सरकार इसमें नाकाम हुई।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हमले की निंदा हुई

हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हमले की निंदा हुई है और आस्ट्रेलिया की सरकार से लेकर मुस्लिम-अरब देशों की ओर से भी आतंकवाद और हिंसा के सभी रूपों को खारिज किया गया है। मगर यह भी सच है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना और विरोध के बावजूद किसी समुदाय से नफरत की भावना में डूबे लोगों को रोक पाना एक मुश्किल चुनौती है।

गौरतलब है कि इससे पहले इजराइल में लगभग इसी तरह के एक जमावड़े में हमास के आतंकवादियों ने यहूदी समुदाय के लोगों पर हमला किया था और उसमें बारह सौ से ज्यादा की मौत हो गई थी। उसका अंजाम आज भी हमास और इजराइल के युद्ध और उससे उपजी त्रासदी के रूप में दुनिया के सामने है। इसी प्रकृति के एक अन्य हमले में भारत में कश्मीर के पहलगाम में हमलावरों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी कर कई लोगों को मार डाला था।

आस्ट्रेलिया के बोंडी समुद्र तट पर हुए आतंकी हमले का एक पहलू बेहद अहम है कि जहां बंदूकधारी हमलावरों की पहचान मुसलिम बताई गई है, वहीं अपनी जान हथेली पर रख कर उनसे भिड़ने और एक हमलावर को रोकने में कामयाब रहा व्यक्ति भी मुस्लिम समुदाय से ही है। इसे आतंकवाद के विरुद्ध एक स्वत: स्फूर्त इंसानी प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा सकता है, जिसकी जरूरत समूची दुनिया में महसूस की जा रही है।

दरअसल, आतंकवाद अलग-अलग समुदायों के बीच दूरी और द्वेष को ही अपना जरिया बनाता है। इसलिए इसका सामना करने के मकसद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस रणनीति के समांतर भिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सद्भाव और सहयोग के मानवीय मूल्यों को मजबूत करने और बढ़ावा देने के लिए व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है।

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