पाकिस्तानी नौका को विस्फोट से उड़ाने के मामले ने फिर से विवाद खड़ा कर दिया है। इसी के साथ सरकार की काफी किरकिरी भी हो रही है। भारतीय तटरक्षक बल के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के उप महानिरीक्षक बीके लोशाली ने एक बयान में कहा है कि उनके आदेश पर ही नौका उड़ाई गई थी। जबकि रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने तब दावा किया था कि तटरक्षक बल के पीछा करने पर नौका में सवार लोगों ने ही नौका को विस्फोट से उड़ा दिया और खुद को खत्म कर लिया था। तटरक्षक बल के एक वरिष्ठ अधिकारी का इससे उलट बयान आने से रक्षामंत्री के दावे पर सवालिया निशान लग गया है। यों पर्रीकर अब भी अपने कहे पर कायम हैं। यही नहीं, उनके मंत्रालय ने लोशाली के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। साफ है कि विरोधाभासों का कोई संतोषजनक जवाब न दे पाने की सूरत में लीपापोती की जा रही है।
यों लोशाली अपने दावे से पलट गए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने वैसी कोई स्वीकारोक्ति नहीं की थी, जिसकी बात कही जा रही है; उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। कबूलनामे पर हंगामा खड़ा होने के बाद लोशाली ने यह तक कहा है कि जो कुछ हुआ उसकी जानकारी उन्हें नहीं है। मगर उनके दावे की वीडियो रिकार्डिंग बताती है कि वे अभियान से संबद्ध थे और उन्होंने ही नौका को उड़ाने का आदेश दिया था। यह मामला सरकार के काम करने के तरीके पर गंभीर सवाल उठाता है। पहली बात यह कि रक्षामंत्री का दावा संदिग्ध हो गया है। यह साफ होना चाहिए कि वे जो कह रहे हैं, वह सही है, या लोशाली ने जो दावा किया वह सच है। लेकिन पर्रीकर सारे मामले को इस तरह पेश कर रहे हैं, मानो यह विभागीय अनुशासन का मामला है!
इकतीस दिसंबर की रात पोरबंदर से करीब दो सौ पैंसठ किलोमीटर दूर एक पाकिस्तानी नौका के चालक दल के खुद को विस्फोट से उड़ा लेने की खबर आते ही रक्षा मंत्रालय ने यह दम भरा था कि 26/11 जैसी आतंकवादी घटना की साजिश नाकाम कर दी गई है। तब भी इस दावे पर संदेह जताया गया था। अब वह शक और गहरा हो गया है। क्या वह दावा सरकार ने खुद को महिमामंडित करने के लिए किया था? आतंकवाद से निपटने के मोर्चे पर सक्रियता अच्छी बात है। मगर कोई दावा निराधार दिखे, तो इससे भविष्य में भी आतंकवाद-विरोधी किसी कार्रवाई को लेकर शक की गुंजाइश पैदा हो सकती है। इस तरह नौका-विवाद के चलते सबसे बड़ा नुकसान सरकार की अपनी साख का हुआ है। लोशाली के पलट जाने से ही सब कुछ रफा-दफा नहीं हो जाता।
ऐसे समय, जब पाकिस्तान से फिर से बातचीत शुरू होने की पृष्ठभूमि बन रही है, इस मामले ने पाकिस्तान को आक्रामक होने का मौका दे दिया है, जैसा कि वहां के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की प्रतिक्रिया से जाहिर है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय नियम-कायदों का पालन करने की भारत की छवि को भी ठेस पहुंची है। अब तक सामने आए ब्योरे बताते हैं कि नौका भारत की समुद्री सीमा से कुछ दूर थी। ऐसे में, प्रतिरोधक कार्रवाई के भय से चालक दल ने खुद को खत्म कर लिया, तो जवाबदेही से भी पिंड छूट गया और सिर पर कामयाबी का सेहरा भी बंध गया! लेकिन यह बता कर सरकार और सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ताओं ने जो भी सियासी फायदा साधने की बात सोची हो, इस कहानी में अब छेद ही छेद दिखते हैं। पर्रीकर यह कहते रहे हैं कि वे सभी प्रासंगिक तथ्य सामने रखेंगे। इसकी जरूरत अब और बढ़ गई है।
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