सात आपराधिक मामलों में आरोपी शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड ने इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एअर इंडिया के विमान के भीतर ही एक अधिकारी को न केवल चप्पलों से पीटा, गालीगलौज की बल्कि उसी विमान को चालीस मिनट तक उड़ने से रोके रखा। लोकसभा के लिए चुने गए एक राजनीतिक के ऐसे दुस्साहस और सीनाजोरी का दूसरा वाकया शायद ही मिले। हद तो यह हो गई कि गायकवाड ने इस पर कोई अफसोस जताने के बजाय यह डींग मारी कि वे भाजपा के नहीं, शिवसेना के सांसद हैं और उन्होंने उस अधिकारी को पच्चीस बार चप्पलों से पीटा है। साथ ही, दिल्ली पुलिस को चेतावनी दी कि उसमें दम है तो गिरफ्तार करके दिखाए। गायकवाड मराठवाड़ा क्षेत्र के उस्मानाबाद संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। उनका रिकॉर्ड बताता है कि वे पुराने हथछुट हैं और शिक्षक रहने के दौरान अपने छात्रों पर भी हाथ उठा देते थे।
इस बीच एअर इंडिया और फेडरेशन आॅफ इंडियन एअरलाइंस (एफआइए) ने अपने विमानों से गायकवाड के यात्रा करने पर रोक लगा दी है। इस फेडरेशन से जेट एअरवेज, इंडिगो, स्पाइस जेट और गो एअर जैसी निजी विमानन कंपनियां जुड़ी हैं। इसका असर यह हुआ कि इंडिगो ने शुक्रवार को दिल्ली से पुणे वापसी का सांसद का टिकट निरस्त कर दिया। फिर भी, शिवसेना सांसद ने यह धमकी दी कि उन्हें विमान से जाने से कोई नहीं रोक सकता, जिससे हवाई अड्डे पर सुरक्षा बढ़ा दी गई। आमतौर पर तेजतर्रार रवैया अख्तियार करने वाली शिवसेना को भी बचाव की मुद्रा में आना पड़ा, और उसने गायकवाड से जवाब मांगा है। पर कौन जाने, पार्टी की यह कार्रवाई खुद को किरकिरी से बचाने की गरज से की गई फौरी तथा दिखाऊ कवायद भर साबित हो।
शिवसेना को सोचना होगा कि वह कैसे-कैसे लोगों को तरजीह देती रही है! अपने को कानून से ऊपर समझने की मानसिकता शिवसेना में क्या बस गायकवाड तक सीमित है? हुआ यों कि गायकवाड के पास बिजनेस क्लास का कूपन था, जिस पर वे सफर करना चाहते थे। लेकिन पुणे से दिल्ली आ रहे एअर इंडिया के जिस विमान से वे आना चाह रहे थे उसमें इकोनॉमी क्लास ही था। उन्होंने जिद की कि उन्हें आगे की सीट दी जाए और वह उन्हें दी भी गई। लेकिन दिल्ली हवाई अड्डे पर सुबह 9.35 पर पहुंचे तो उन्होंने विमान से उतरने से मना कर दिया। चालीस मिनट तक गायकवाड को उतारने की मान-मनौव्वल चलती रही। एअर इंडिया के साठ वर्षीय ड्यूटी प्रबंधक का गायकवाड ने चश्मा तोड़ दिया और चप्पलों से पीटना शुरू कर दिया।
इसके बाद बड़ी मुश्किल से वे विमान से उतरे और मीडिया के सामने भी अपनी अकड़बाजी दिखाते रहे। पूरे मामले में यह सवाल बार-बार उठ रहा है कि एक सांसद, जिन्होंने न केवल कानून हाथ में लिया बल्कि बढ़-चढ़ कर उसका बखान भी कर रहे हैं और कार्रवाई की चुनौती दे रहे हैं, क्या वे देश के कानून से ऊपर हैं? केंद्र सरकार की नरमी समझ से परे है। कहीं ऐसा तो नहीं कि महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ गठबंधन की वजह से केंद्र सरकार हीलाहवाली दिखा रही हो। अगर कोई जनप्रतिनिधि खुलेआम कानून को ठेंगा दिखाए, तो इससे न सिर्फ संबंधित पार्टी की छवि खराब होती है बल्कि कानून-रक्षक के तौर पर सरकार की भी साख पर आंच आती है।