राजस्थान के जयपुर में शुक्रवार को एक ट्रक और टैंकर में टक्कर की वजह से भयावह हादसा हो गया। अजमेर-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक पेट्रोल पंप के नजदीक एलपीजी गैस से भरे टैंकर और रसायनों से लदे ट्रक में हुई टक्कर के बाद तेज धमाके के साथ वहां करीब तीन सौ मीटर के दायरे में आग लग गई। इस घटना की भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आग की चपेट में चालीस से ज्यादा गाड़ियां आ गईं, उसमें ग्यारह लोगों की जान चली गई और चालीस से ज्यादा लोग बुरी तरह झुलस गए।
कई पूरी तरह जल गए लोगों की सिर्फ हड्डियां मिल सकीं। हादसे के बाद सरकार ने राहत के तौर पर मुआवजे की घोषणा कर दी, लेकिन सवाल है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या उपाय किए जाते हैं, ताकि इतने बड़े पैमाने पर लोगों के जीवन से खिलवाड़ न हो! इस दुर्घटना को जयपुर में अब तक के सबसे बड़े हादसों में से एक माना जा रहा है, लेकिन यही बात शहर की यातायात व्यवस्था पर एक सवालिया निशान है।
गलतियों या लापरवाहियों का नतीजा होता है हादसा
यह सही है कि कोई भी हादसा गलतियों या लापरवाहियों का नतीजा होता है, मगर यातायात प्रबंधन महकमे की यह जिम्मेदारी होती है कि वह वाहनों की आवाजाही के लिए नियम-कायदों से लेकर उस पर अमल के साथ-साथ वाहनों के सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर चौकस रहे। गलत तरीके से वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई ऐसी होनी चाहिए, ताकि सड़क पर वाहन चालक रफ्तार, लेन और अन्य मामले में नियमों का पालन करने को लेकर स्वत: सतर्क हों।
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अगर सड़कों पर वाहन चलाने को लेकर मौजूदा नियमों पर अमल को ही पूरी तरह सुनिश्चित कर लिया जाए, तो हादसे की गुंजाइश को बहुत कम या खत्म किया जा सकता है। विडंबना यह है कि एक ओर कई चालक सुरक्षित तरीके से गाड़ी चलाने के प्रति लापरवाही बरतते हैं, वहीं यातायात महकमा और सरकार भी तब तक आंखें मूंदे रहती है, जब तक कोई बड़ा हादसा नहीं हो जाता। यह बेवजह नहीं है कि सड़कों पर हादसों का सिलसिला जारी रहता है और सरकारें सिर्फ मुआवजा देने को अपनी जिम्मेदारी मान कर निश्चिंत हो जाती हैं।