इजराइल-ईरान युद्ध के बीच अमेरिका के कूदने से दुनिया के सामने विकट स्थितियां पैदा हो गई हैं। ईरान ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि अगर अमेरिका ने इस जंग में दखल दिया, तो न केवल उसको, बल्कि पूरी दुनिया को इसके खतरनाक नतीजे भुगतने पड़ेंगे। यमन के हूती विद्रोहियों ने भी कह दिया था कि वे लाल सागर में हमले तेज कर देंगे। शुरू में अमेरिका की कोशिश थी कि किसी तरह यह युद्ध रुक जाए, पर अब उसने खुद इजराइल की तरफ से ईरान पर हमला कर दिया है। उसने अपने बंकरभेदी बमवर्षकों से ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बम बरसाए। इससे ईरान ने जवाबी कार्रवाइयां करनी शुरू कर दी हैं।

ईरान के इस कदम से तेल के जहाजों को दूसरे लंबी दूरी से गुजरना पड़ेगा

यह युद्ध क्या शक्ल अख्तियार करेगा, यह देखने की बात है। पर ईरान ने तत्काल होर्मुज जलडमरुमध्य को बंद करने का फैसला किया है, उसी से दुनिया के अनेक देशों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। इस जलडमरुमध्य के रास्ते दुनिया के करीब तीस फीसद कच्चे तेल का आयात होता है। जाहिर है, यह रास्ता बंद हो जाने से तेल के जहाजों को दूसरे लंबे रास्तों से होकर गुजरना पड़ेगा, जिसका असर कच्चे तेल की कीमत पर पड़ेगा। इससे महंगाई और बढ़ जाएगी।

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ईरान के इस फैसले से भारत की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि यह अपनी ऊर्जा जरूरतों का करीब सत्तर फीसद तेल आयात करता है। इसके अलावा, होर्मुज जलडमरुमध्य के रास्ते पश्चिम एशियाई देशों के साथ बड़ी मात्रा में इसका आयात-निर्यात होता है। इन देशों के साथ भारत का निर्यात कुल 8.6 अरब डालर का और आयात 33.1 अरब डालर का होता है। इस रास्ते के बंद होने से इस व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।

अमेरिकी हमले के विरोध में हूती हमलों में तेजी आई

लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले के चलते भारतीय व्यापारियों को पहले ही आयात-निर्यात में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, अमेरिकी हमले के विरोध में हूती हमलों में तेजी आई, तो यह संकट और गहरा हो जाएगा। भारत पहले ही अपना निर्यात बढ़ाने को लेकर चिंतित है। तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई पर काबू पाना चुनौती है। विनिर्माण क्षेत्र और देश के आठ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र मंदी की मार झेल रहे हैं। ऐसे में अगर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होती है और मध्य पश्चिमी देशों के साथ व्यापार में अवरोध पैदा होता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ी चोट पहुंच सकती है।

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अमेरिकी हमले के बाद अभी दुनिया दम साधे इंतजार कर रही है कि ईरान इसका जवाब किस रूप में देता है। ईरान किसी भी रूप में झुकने को तैयार नहीं है। रूस सहित दुनिया के कई देशों ने ईरान पर अमेरिकी हमले की निंदा की है। खुद अमेरिका में इसे लेकर विरोध शुरू हो गया है, इसलिए कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हमले में तय प्रक्रिया और नियम-कायदों का पालन नहीं किया। फिर यह भी कि अमेरिका या इजराइल के पास इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं कि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की तैयारी में था।

अमेरिका की खुफिया एजंसी ने भी साफ कह दिया था कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा था। इस स्थिति में अगर कुछ देश ईरान के समर्थन में खुले रूप में आगे आते हैं, तो युद्ध और विकराल रूप ले सकता है। वैसी स्थिति में दुनिया के सामने खड़ी होने वाली आर्थिक चुनौतियों का अंदाजा लगाया जा सकता है।