इजराइल इस कदर आक्रामक हो गया है कि वह युद्ध के नियमों और मानवीय मूल्यों को भी भूल बैठा है। जंग में सब कुछ जायज नहीं होता। इसके भी कुछ नियम और कायदे हैं। कोई देश इससे इनकार नहीं कर सकता। यह दुखद है कि इजराइल फिलिस्तीन का नामोनिशान दुनिया के नक्शे से मिटाने पर तुला है। हालांकि उसका दावा है कि वह हमास और उसके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि इसकी आड़ में उसकी बर्बरता के शिकार निर्दोष नागरिक हो रहे हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं।
हवाई हमले खुल्लमखुल्ला अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन
अस्पतालों, स्कूलों और आश्रय स्थलों पर जिस तरह इजराइली सेना हवाई हमले कर रही है, वह खुल्लमखुल्ला अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है। यह एक युद्ध अपराध है। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस देश ने नैतिक रूप से सभी सिद्धांतों को ताक पर रख दिया है। इजराइल ने ईरान समेत पश्चिम एशिया में कई मोर्चे खोल दिए हैं। साथ ही, गाजा पर आक्रमण और तेज कर दिया है। यह दुखद है कि उसने वहां विस्थापित फिलिस्तीनियों के आश्रय स्थल पर हमला किया।
इजराइल की कार्रवाई यहीं नहीं थमी है। वहां की संसद ने गाजा में शरणार्थियों की सहायता रोकने के लिए दो विधेयक आनन-फानन में पारित कर दिए हैं। उसका मकसद साफ है कि संयुक्त राष्ट्र की राहत कार्य एजंसी को युद्ध में घायलों और शरणार्थियों की मदद करने से रोका जाए। इजराइल के इस अमानवीय कदम से फिलिस्तीनियों की मुश्किलें और बढ़ेंगी। एजंसी अब उनकी मदद नहीं कर पाएगी। अब सरकार और राहत एजंसी के बीच संबंध भी टूट जाएंगे।
इस समय इजराइल की मनमानी पूरी दुनिया देख रही है। मगर कोई भी देश उसे समझा-बुझा कर फिलिस्तीन पर हमले करने से नहीं रोक रहा। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था भी असहाय महसूस कर रही है। इजराइल ने कुछ समय पहले संस्था के प्रमुख एंतोनियो गुतारेस को अवांछनीय करार देते हुए अपने यहां प्रवेश देने से रोक दिया था। इजराइल की यह आक्रामकता चिंता पैदा करने वाली है।