खालिस्तान समर्थकों और उन्हें पनाह देने वालों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक और कठोर कदम उठाते हुए भारत सरकार ने गोल्डी बराड़ को कुख्यात अपराधी की जगह आतंकवादी घोषित कर दिया है। गोल्डी बराड़ तब चर्चा में आया, जब गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या कर दी गई थी। बीस महीने पहले गोल्डी बराड़ ने खुद उस हत्या की जिम्मेदारी ली थी।

गोल्डी का रिश्ता कुख्यात अपराधी लारेंस विश्नोई के गिरोह से है। फिर इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजंसी ने भी करनी शुरू की तो उसके अपराधों की फेहरिस्त खुलती गई। गोल्डी पिछले करीब सात वर्षों से कनाडा में रहता है और वहीं से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। वह न केवल अनेक हत्याओं की साजिश रचने और पेशेवर हत्यारे तैयार करने का आरोपी है, बल्कि उसके तार पाकिस्तान से भी जुड़े हैं।

वह ड्रोन के जरिए हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटकों की तस्करी करता रहा है। पंजाब में खालिस्तान समर्थकों को संगठित करता और उपद्रवियों को उकसाता रहा है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर भारत सरकार ने उसे आतंकवादी घोषित किया है। उसके खिलाफ ‘रेड कार्नर नोटिस’ पहले ही जारी किया जा चुका है। आतंकवादी घोषित होने के बाद उसकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

अभी तक गोल्डी बराड़ के खिलाफ पंजाब पुलिस एक सामान्य अपराधी की तरह कार्रवाई का प्रयास करती रही है, मगर आतंकवादी घोषित होने के बाद अब दुनिया के किसी भी देश की पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है। गोल्डी पर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम के तहत भारत विरोधी गतिविधियां संचालित करने का आरोप है।

इस तरह अब कनाडा सरकार के पास भी यह बहाना नहीं होगा कि वह गोल्डी को बचाने या पकड़ने के बाद भारत को सौंपने में आनाकानी करे। भारत सरकार के इस कदम से एक बार यही रेखांकित हुआ है कि कनाडा अपने यहां भारत के खिलाफ गतिविधियां चलाने वालों को पनाह दिए हुए है। भारत सरकार कई बार अपील कर चुकी है कि कनाडा सरकार ऐसे लोगों के प्रति किसी भी प्रकार की नरमी न बरते, मगर अब तक उससे अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया है।

यह उजागर तथ्य है कि भारत के पंजाब से जाकर कनाडा में बसे अनेक खालिस्तान समर्थक संगठन भारत में अलगाववादी गतिविधियों को प्रश्रय देते, उन्हें धन, हथियार वगैरह मुहैया कराते रहे हैं। उनमें से कई संगठनों के तार पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों से जुड़े हैं। गोल्डी बराड़ पर भी पाकिस्तान से मदद लेने के आरोप हैं।

पंजाब में अलगाववाद की आग बहुत पहले शांत हो गई थी, मगर पिछले कुछ साल से फिर कनाडा, ब्रिटेन आदि देशों में बसे उपद्रवी तत्त्वों ने इसे भड़काने की कोशिश शुरू कर दी है। इससे स्वाभाविक ही सरकार की चिंता बढ़ी है। एक तो पंजाब सीमावर्ती राज्य है और वहां से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की घुसपैठ की आशंका रहती है, इस दृष्टि से भी और दूसरे, कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका आदि में खालिस्तान समर्थकों के भारत विरोधी गतिविधियां चलाने से पूरी दुनिया में हो रही बदनामी की वजह से भी।

इसलिए भारत सरकार लगातार इन देशों से सहयोग की अपील करती रही है, मगर खासकर कनाडा को यह नामंजूर ही रही है। उल्टा उसने तो निज्जर हत्या मामले में भारत सरकार पर ही आरोप लगा दिए। गोल्डी बराड़ के आतंकवादी घोषित किए जाने के बाद अब उसके पास उसे बचाने का कोई तर्क नहीं बचा है। देखना है कि इस मामले में कनाडा का कितना सहयोगात्मक रुख रहता है।