भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार जहां एक ओर पूरी दुनिया को अचंभित करती है, वहीं एक कड़वा सच यह भी है कि करोड़ों परिवार आज भी बहुत मुश्किल से अपना घर चला पा रहे हैं। इनमें से अनेक लोगों को विश्वास है कि वे कर्ज लेकर व्यापार करेंगे, तो अधिक पैसे कमाएंगे और बेहतर भविष्य बनाएंगे।
दूसरी ओर, कुछ को लगता है कि भविष्य के बारे में ज्यादा सोचने के बजाय उन्हें वर्तमान में जी लेना चाहिए। मगर स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च बढ़ने से उनकी चुनौतियां भी लगातार बढ़ रही हैं। महंगाई और घटती आय की वजह से उनमें निराशा है। उनकी उम्मीदें टूटी हैं। चिंता का विषय है कि बैंकों का बकाया न चुकाने के कारण कई परिवार कर्ज में इस तरह डूब जाते हैं, जहां से निकलना उनके लिए संभव नहीं होता। कुछ लोग आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेते हैं।
हरियाणा के पंचकूला में एक ही परिवार के सात लोगों ने की थी खुदकुशी
हरियाणा के पंचकूला में एक ही परिवार के सात लोगों की खुदकुशी ऐसा ही मामला है। सच्चाई यही सामने आई है कि इस परिवार पर बैंक का बहुत सारा पैसा बकाया था, जिसे चुकाना उसके लिए मुश्किल हो गया था। कर्ज में डूबा परिवार रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रहा था।
अगर देश के नागरिक घर और वाहन खरीदने के लिए कर्ज ले रहे हैं, तो निश्चित रूप से इसके पीछे बेहतर रोजगार और अच्छी आय की संभावनाएं छिपी हैं। मगर कारोबार के लिए लिया गया कर्ज कोई नहीं चुका पा रहा है, तो इस पर सोचने की जरूरत है कि विकास की तेज रफ्तार के बीच उनका कारोबार क्यों पिछड़ रहा है। अगर व्यापारी कर्ज लेकर भी लागत नहीं निकाल पा रहे हैं, तो इसके पीछे के कारणों को समझने और उनका हल निकालने की जरूरत है। इसके लिए नीति निर्माताओं को ही आगे आना होगा।
यह सच भी छिपा नहीं है कि कर्ज में डूबे हजारों किसान खुदकुशी कर चुके हैं। फसलों की लागत न निकल पाने से उनमें भारी निराशा है। छोटे कारोबारियों की स्थिति भी कोई अच्छी नहीं है। जरूरत है कि बेहतर जिंदगी जीने की करोड़ों लोगों की उम्मीदें और सपने बचाने के लिए अब ठोस और सार्थक कदम उठाए जाएं।