भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता वार्ता महत्त्वपूर्ण चरण में है। दोनों पक्ष इस समझौते के अंतरिम प्रारूप को नौ जुलाई से पहले अंतिम रूप देने का प्रयास कर रहे हैं। कई मसलों पर द्विपक्षीय सहमति बन गई है, लेकिन कृषि और डेयरी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर पेच फंसता नजर आ रहा है। अमेरिकी शुल्क नौ जुलाई से लागू हो जाने की संभावना के बावजूद भारत अपने हितों से कोई समझौता नहीं करना चाहता है।

इस सिलसिले में वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव की अ्रगुवाई में वाशिंगटन गए भारतीय दल ने इसके साफ संकेत दिए हैं। हालांकि, भारत चाहता है कि यह व्यापार समझौता जल्द से जल्द हो, लेकिन किसी दबाव में देश के हित की कीमत पर नहीं। इसमें दोराय नहीं कि अगर यह व्यापार समझौता सिरे चढ़ता है तो इससे दोनों देशों को फायदा होगा। मगर, इसके लिए दोनों पक्षों को परस्पर हितों का सम्मान करना होगा, जो अमेरिकी पक्ष की ओर से फिलहाल कुछ मुद्दों पर नजर नहीं आ रहा है।

अमेरिका अपने उत्पादों के लिए भारतीय कृषि और डेयरी बाजार में पहुंच चाहता है

दरअसल, अमेरिका अपने उत्पादों के लिए भारतीय कृषि और डेयरी बाजार में व्यापक पहुंच और शुल्क छूट की मांग कर रहा है। चीन के साथ बढ़ते व्यापार तनाव के कारण अमेरिका अपने कृषि और डेयरी उत्पादों को भारत में निर्यात करना चाहता है। लेकिन भारत के लिए इन क्षेत्रों में अमेरिका को शुल्क छूट देना कठिन और चुनौतीपूर्ण है। इसका कारण यह है कि भारत में करोड़ों किसान अपनी आजीविका के लिए खेती में लगे हैं और उनकी जोत का आकार काफी छोटा है।

भारत इन क्षेत्रों को लेकर संतुलित समझौते की मांग कर रहा है, ताकि ग्रामीण रोजगार और खाद्य सुरक्षा जैसे अहम मुद्दे सुरक्षित रह सकें। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआइ) की एक रपट में भी भारत की इन चिंताओं का समर्थन कर इन्हें तथ्यों पर आधारित माना गया है। रपट के मुताबकि, अमेरिका को कृषि और डेयरी क्षेत्रों में व्यापक पहुंच उपलब्ध कराने से भारत में कृषि पर निर्भर करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित होगी।

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अमेरिका और भारत के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए इस चरण की वार्ता को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिका की ओर से लगाया गया 26 फीसद अतिरिक्त शुल्क नौ जुलाई के बाद लागू हो सकता है। अमेरिका ने इस साल दो अप्रैल को भारतीय वस्तुओं पर यह अतिरिक्त शुल्क लगाया था, लेकिन बाद में इसे नब्बे दिन के लिए टाल दिया गया। हालांकि, अमेरिका का दस फीसद मूल शुल्क अभी भी लागू है।

भारत अतिरिक्त 26 फीसद शुल्क से पूरी छूट की मांग कर रहा है। यहां गौर करने वाली बात है कि भारत ने अब तक हस्ताक्षरित किसी भी मुक्त व्यापार समझौते में अपने डेयरी क्षेत्र को नहीं खोला है। ऐसे में अमेरिका को भारत की चिंताओं को लेकर गंभीरता से विचार करना होगा। अमेरिका डेयरी और कृषि क्षेत्र के अलावा मोटर वाहन विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहन और पेट्रोरसायन उत्पादों पर शुल्क में भी रियायत चाहता है।

वहीं, भारत प्रस्तावित व्यापार समझौते में कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान, परिधान, प्लास्टिक, रसायन और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए शुल्क छूट की मांग कर रहा है। इस समझौते का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब अमेरिकी डालर से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 500 अरब डालर तक पहुंचाना है। यह बेहद महत्त्वपूर्ण साझेदारी हो सकती है और उम्मीद की जानी चाहिए कि अमेरका, भारत की चिंताओं को समझकर कदम आगे बढ़ाएगा।