अंतरिक्ष में भारत ने नई छलांग लगाई है। भारतीय अंतरिक्ष मिशन (इसरो) के स्पैडेक्स मिशन की शानदार कामयाबी ने उसे अमेरिका, रूस और चीन की कतार में खड़ा कर दिया है। यह हमारे वैज्ञानिकों के सतत अनुसंधान और उनकी मेधा का प्रतिफल है कि हम आने वाले समय में चांद पर इंसान भेजने का सपना साकार कर पाएंगे। फिलहाल भारत ने दो यानों को अलग करने के बाद उन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर सभी को चौंका दिया है। इसरो का यह महत्त्वाकांक्षी मिशन था।

भारत हासिल करेगा बड़ी सफलता

आगामी सात जनवरी को इस मिशन के तहत जब इन यानों को जोड़ा जाएगा, तब भारत तीन बड़े देशों के बाद यह क्षमता हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। गौर करने की बात है कि एक समय हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम उपग्रहों को ऊपर ले जाने तक सीमित था। जैसे-जैसे भारत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में महारत हासिल करता गया, उसके अंतरिक्ष अभियानों को नए क्षितिज मिलते गए। कोई दो मत नहीं कि स्पैडेक्स मिशन की कामयाबी ने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्णायक मोड़ पर पहुंचा दिया है। उम्मीद है कि 2035 तक भारत भी अंतरिक्ष में अपना केंद्र स्थापित कर लेगा। अंतरिक्ष यानों को अलग कर लेने और फिर जोड़ लेने के बाद अंतरिक्ष अन्वेषण में नई राहें खुलेंगी।

इसरो का शुक्रयान मिशन पर चल रहा काम

इसरो के इस मिशन की सफलता इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भारत शुक्रयान मिशन पर भी काम करना चाहता है, वहीं वह गगनयान मिशन की तैयारी में पहले से जुटा है। अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाना और फिर वापस सुरक्षित लाना इसका मुख्य उद्देश्य है। अभी तक दुनिया के तीन देश ही ऐसा कर पाए हैं। वैसे भी 2040 तक चंद्रमा पर मानव भेजने की हमारी महत्त्वाकांक्षी योजना है।

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इस लिहाज से देखें, तो इसरो की नई सफलता ने हमारे लिए कई नए दरवाजे खोल दिए हैं। अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति अब और मजबूती से दर्ज होगी। श्रीहरिकोटा से 99वें प्रक्षेपण के बाद हमें अगले अभियान पर भी गर्व होना चाहिए, क्योंकि नववर्ष की शुरूआत में इसरो का सौवां प्रक्षेपण भारत को अंतरिक्ष में नई ऊंचाई पर ले जाएगा। यह उसके सपनों और संकल्प की नई उड़ान भी है, जिन्हें जल्द साकार होते पूरी दुनिया देखेगी।