भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुआ सैन्य संघर्ष फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। भारतीय सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने संयुक्त रूप से कहा है कि हमारा मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था। उसमें हमें पूरी कामयाबी मिली। मगर पाकिस्तानी सेना ने उसे अपने ऊपर हमला मान लिया और आतंकवाद के साथ खड़ी हो गई। अब हम अगले अभियान के लिए तैयार हैं। अब दोनों देशों के सैन्य अभियान प्रमुखों ने भी औपचारिक रूप से संघर्ष विराम पर परस्पर सहमति जता दी है। दरअसल, पिछले दो दिन से संघर्ष विराम को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे, इसे लेकर आम लोगों में भी निराशा नजर आ रही थी।

सेनाध्यक्षों के बयान के बाद अब किसी के मन में संशय नहीं रहना चाहिए कि आखिर क्यों लंबे सैन्य संघर्ष का रास्ता छोड़ना पड़ा। भारतीय सेना शुरू से कहती आ रही है कि वह हर तरह के हमले का जवाब देने को तैयार है। अब उसने रेखांकित किया है कि हमारा सुरक्षा कवच अभेद्य है और हम अगले अभियान के लिए तैयार हैं, तो इसका अर्थ समझने की जरूरत है। छिपी बात नहीं है कि पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों पर लक्षित हमले के बाद भी भारत अपने मकसद को भूला नहीं है। आतंकवाद के सफाए के लिए अब नई रणनीति की जरूरत महसूस की जाने लगी है, इसलिए कि पाकिस्तानी सेना ने उस भारतीय हमले को अपने ऊपर हमला मान कर जवाब देना शुरू कर दिया था।

यह अच्छी बात है कि इस मौके पर सारे विपक्षी दलों ने सरकार में भरोसा जताया और उसके हर फैसले में साथ देने का वादा निभाया। मगर युद्ध विराम का फैसला आते ही इस मसले पर राजनीतिक सरगर्मी दिखाई देने लगी है। सरकार ने भी विपक्षी दलों की तरफ से उठ रहे सवालों का जवाब दे दिया है। युद्ध के समय सियासी नफे-नुकसान के समीकरण नहीं साधे जाने चाहिए, यह बात दोनों पक्षों पर लागू होती है। इसी तरह, आम जन को तथ्यों की जानकारी मिलनी ही चाहिए।

मगर समझने की जरूरत है कि सेना इसलिए कई सवालों के जवाब फिलहाल भविष्य पर छोड़ रही है कि उसने अभी तक संघर्ष को अंतिम तौर पर समाप्त नहीं किया है। सैन्य अभियान के प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा भी कि इस वक्त यह देखना चाहिए कि हम अपने अभियान में कितने कामयाब हुए हैं। जाहिर है, भारतीय सेना अभी कोई ऐसा वक्तव्य नहीं देना चाहती या कोई ऐसी बात नहीं करना चाहती, जिससे पाकिस्तान गलत तरीके से लाभ उठाए।

भारत हमेशा इस बात का हिमायती रहा है कि आज के दौर में मसले जंग के जरिए हल नहीं किए जा सकते। इसलिए रूस-यूक्रेन संघर्ष रुकवाने के लिए उसने भरसक कोशिश की। एक जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में भारत और इसकी सेना को अच्छी तरह पता है कि लंबे समय तक सैन्य तनाव किसी भी रूप में देश हित में नहीं हो सकता। इसलिए मुख्य समस्या के समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत का मकसद फिलहाल पाकिस्तान में पनाह पाए आतंकवादी संगठनों को नेस्तनाबूद करना है।

इस पर दुनिया के शायद ही किसी देश को एतराज हो कि भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक युद्ध चाहता है। यही वजह है कि ज्यादातर देशों ने भारत के लक्षित हमलों की सराहना की। इस संघर्ष विराम को किसी राजनीतिक चश्मे से देखने पर सेना की रणनीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा हो सकता है।