अंगदान से किसी को भी नया जीवन दिया जा सकता है, इसलिए इसे महादान कहा जाता है। यह मानवता की सबसे बड़ी सेवा है। मगर भारत में अंगदान और प्रत्यारोपण की प्रक्रिया में चुनौतियां भी कम नहीं हैं। दानदाताओं की कमी और बुनियादी व्यवस्था का अभाव सबसे बड़ा संकट है। समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं।
दूसरी ओर, अंगदान की वैधता और गैर वैधता को लेकर कानून बनाया गया है, लेकिन यह देश के तमाम राज्यों में न तो समान रूप से लागू हो पाया है और न ही इस पर कड़ाई से अमल हो पा रहा है। यही वजह है कि अब सर्वोच्च न्यायालय ने अंगदान और इसके आबंटन एवं प्रत्यारोपण के लिए एक पारदर्शी और सक्षम प्रणाली बनाने के लिए केंद्र सरकार को राज्यों के परामर्श से एक राष्ट्रीय नीति तथा समान नियम बनाने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने अंगदान करने वालों को शोषण और उत्पीड़न से बचाने के वास्ते हर स्तर पर पुख्ता बंदोबस्त करने के लिए भी कहा है।
देश में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 में मौजूदा समय के हिसाब से संशोधन किए गए हैं। मगर कुछ राज्यों ने इन संशोधनों पर अभी तक अमल नहीं किया है। इनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और मणिपुर जैसे कई राज्य शामिल हैं। इससे स्पष्ट है कि अंगदान और प्रत्यारोपण को लेकर विभिन्न राज्यों के नियमों में समानता नहीं है। इसका खमियाजा न केवल अंगदाताओं, बल्कि प्रत्यारोपण का इंतजार करने वाले मरीजों को भी भुगतना पड़ता है।
यही वजह है कि देश में इस संबंध में राष्ट्रीय नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। शीर्ष अदालत ने नई नीति में अंग प्रत्यारोपण के लिए आदर्श आबंटन मानदंड निर्धारित करने को कहा है। साथ ही इस बात को भी रेखांकित किया है कि इसमें लिंग और जातिगत पूर्वाग्रह के मुद्दों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और राज्यवार विसंगतियों को समाप्त करने के लिए अंगदाताओं के वास्ते एक समान नियम तय किए जाएं।
अंगदान में कमी और प्रत्यारोपण से जुड़ी समस्याओं के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। इनमें जागरूकता की कमी, पारिवारिक सहमति का अभाव, नैतिक एवं सांस्कृतिक बाधाएं, विशेष चिकित्सा पेशेवरों की कम उपलब्धता, सीमित बुनियादी व्यवस्थाएं और अंगों की कालाबाजारी शामिल हैं। केंद्र सरकार की एक रपट के मुताबिक, देश में अंग प्रत्यारोपण की संख्या वर्ष 2013 में 4,990 से बढ़कर 2023 में 18,378 हो गई, फिर भी अंगदान की दर प्रति दस लाख जनसंख्या पर एक से भी कम है।
इससे साफ है कि लोगों को अंगदान के लिए प्रेरित करने के वास्ते व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। साथ ही अंगों की कालाबाजारी कर मुनाफा कमाने की गतिविधियों पर भी पूरी तरह रोक लगानी होगी। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि जरूरतमंद का वैध तरीके से ही अंग प्रत्यारोपण हो और किसी अंगदाता के साथ धोखाधड़ी या उसका उत्पीड़न न हो।
इसके अलावा अंगों को निकालने, संग्रहीत करने और उन्हें समय पर विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यारोपण के लिए पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती है। देश में अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया के लिए बहुत कम अस्पताल पंजीकृत हैं। साथ ही अंगों को दूसरी जगह पहुंचाने के लिए परिवहन व्यवस्था और पेशेवर कर्मियों का भी खासा अभाव है। ऐसे में राष्ट्रीय नीति के जरिए ही इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
