पाकिस्तान की मेजबानी में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन के मंच से भारत ने स्पष्ट कहा कि आतंकवाद का रास्ता छोड़े बिना विकास के रास्ते पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता। भारत हमेशा संकल्प के साथ अपनी बात रखता है। भारत ने यह साहस दिखाया है कि वहां जाकर अपनी बात रखे, जहां से आतंक को पनाह दी जाती है। भारत ने चीन को भी नसीहत दी और कहा कि अगर क्षेत्रीय अखंडता को मान्यता नहीं दी जाएगी, तो सहयोग वास्तविक नहीं हो सकता।

दरअसल, आर्थिक गलियारे की परियोजना को लेकर चीन और पाकिस्तान का नापाक गठजोड़ छिपा नहीं है। इस परियोजना के निहित स्वार्थों की खातिर चीन ने हमेशा पाकिस्तान की कारगुजारियों का समर्थन किया है। इसके तहत चीन के झिनझियांग उइगुर और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक करीब तीन हजार किलोमीटर लंबी दूरी तक बुनियादी ढांचा परियोजना विकसित होनी है। यह गलियारा भारत की सीमा के बहुत नजदीक से होकर गुजरेगा और इसमें गिलगित तथा बालटिस्तान क्षेत्र भी आते हैं, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का हिस्सा हैं और उन्हें लेकर दोनों देशों के बीच शुरू से विवाद बना हुआ है। इस परियोजना के चलते कश्मीर सीमा तक चीन पहुंच आसान हो जाएगी।

बलूचिस्तान भी करता है चीन गलियारे का विरोध

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विरोध रणनीतिक दृष्टि से भारत तो करता ही रहा है, बलूचिस्तान प्रांत में इसका तीखा विरोध होता रहा है। अक्सर बलूच विद्रोही इस आर्थिक गलियारे के निर्माण कार्य में जुटे चीनी नागरिकों पर हमले करते रहे हैं। वहां की सरकार के लिए बलूच चरमपंथियों से निपटना बड़ी चुनौती बना हुआ है। अनेक मौकों पर वे बड़े हमले कर चुके हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर अपनी स्पष्ट नीति बनाने को तैयार नहीं दिखता। वह भारत में तो आतंकी गतिविधियों को प्रश्रय देता है, पर अपने खिलाफ अपने ही यहां पनपे आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं कर पाता। इसीलिए भारत ने चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बगैर स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद और विकास साथ-साथ नहीं चल सकते।

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पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बहुत बदहाल है, उसी का लाभ उठा कर चीन उसे अपने पाले में खींचने में सफल हो गया। वह उसे वित्तीय सहयोग दे रहा है, मगर इतने भर से वहां विकास की बयार बह जाएगी, यह मानना सिर्फ खामखयाली ही होगी। चीन का मकसद सड़क, समुद्री और हवाई मार्गों के जरिए भारत को घेरना है। पाकिस्तान उसकी इस रणनीति में एक मोहरा मात्र है। अपना मकसद पूरा होने के बाद चीन कब उसका हाथ झटक कर अलग हो जाएगा, इसका पाकिस्तान को तनिक भी इल्म नहीं।

चीन की चंगुल में बुरी तरह फंसा पाकिस्तान

पाकिस्तान शुरू से भारत विरोध की चादर फैला कर अपनी बदहाली को ढकने का प्रयास करता रहा है। इस तरह काफी हद तक वह अपने अवाम का असल मसलों से ध्यान भटकाए रखने में कामयाब भी हुआ है। मगर वहां के लोग अब इस हकीकत को जान चुके हैं। चीन के साथ गलबहियां करके उसे लगता है कि भारत पर दबाव बनाए रखने में कामयाब होगा, मगर असलियत यह है कि वह खुद चीन के चंगुल में बुरी तरह कसता जा रहा है।

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भारत के पड़ोसी देशों ने चीन की इस चाल को समझते हुए फिर से भारत के साथ नजदीकी बढ़ाने का प्रयास शुरू कर दिया है, मगर पाकिस्तान अलग-थलग पड़ता जा रहा है। जब तक वह आतंकवाद और चीन के चंगुल से मुक्त नहीं होता उसकी तरक्की के रास्ते बंद ही रहेंगे।