भारत फ्रांस के करीबी साझेदारों में से एक है। दोनों देशों के बीच परस्पर सम्मान और विश्वास का रिश्ता रहा है। चीन के बरक्स भारत की क्षमता बढ़ाने में सहयोग का मसला हो या सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए दावा, फ्रांस ने हर बड़े मौके पर भारत का साथ दिया है। दुनिया में तेजी से उभरती ताकत के रूप में भारत की संभावनाओं को फ्रांस पहले ही भांप चुका है। हाल के वर्षों में अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर पनडुब्बी बनाने में सहयोग कर उसने साबित कर दिया कि वह भारत का न केवल भरोसेमंद बल्कि सबसे बड़ा रणनीतिक सहयोगी है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की परस्पर निकटता का प्रमाण कई बार मिल चुका है। इस बार दोनों देशों ने आधुनिक परमाणु संयंत्रों को संयुक्त रूप से विकसित करने का संकल्प किया है। फ्रांस के मारसेई में एक आशय पत्र पर दस्तखत के बाद दोनों देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि ऊर्जा सुरक्षा और कम कार्बन वाली अर्थव्यवस्था के लिए परमाणु ऊर्जा अहम है। इस लिहाज से देखें, तो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की दिशा में यह महत्त्वपूर्ण कदम है।
पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा से व्यापार संबंध और मजबूत होने की उम्मीद बंधी
फ्रांस न केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का साथ देता रहा है, बल्कि रणनीतिक साझेदारी निभाते हुए आर्थिक संबंध मजबूत करने की दिशा में भी सहयोग करता रहा है। नतीजा यह कि वर्ष 2022-23 में दोनों देशों के बीच कारोबार उन्नीस अरब डालर तक पहुंच गया था। इससे पहले वर्ष 2000 से 2024 के मध्य फ्रांस से कोई दस अरब डालर से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था।
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इस बार की प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा के दौरान भी व्यापार और निवेश बढ़ाने पर दोनों देशों ने जोर दिया है। इससे व्यापार संबंध और मजबूत होने की उम्मीद बंधी है। इसके अलावा दोनों देश जलवायु संकट से निपटने की दिशा में भी एक मंच पर काम कर रहे हैं। इसके लिए भारत और फ्रांस ने ‘इंटरनेशनल सोलर अलायंस’ का गठन किया, जिसमें सौ से अधिक देश शामिल किए गए थे।
फ्रांस एक बार फिर सच्चे दोस्त के रूप में आया सामने
भारत-फ्रांस के शीर्ष नेताओं ने असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में जिस तरह इस बार परस्पर सहयोग की गंभीरता से समीक्षा की है, इससे लगता है कि इसके दूरगामी और सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी के लिए प्रतिबद्धता जता कर साफ कर दिया है कि उनके संबंध बहुआयामी हैं। इस तरह दोनों ने दोस्ती को एक नया आयाम ही दिया है। उम्मीद यह भी है कि कृत्रिम मेधा से लेकर प्रौद्योगिकी और नवाचार की दिशा में सहयोग और मजबूत होगा।
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दस अहम समझौते के बाद फ्रांस एक बार फिर सच्चे दोस्त के रूप में सामने आया है। इन समझौतों के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और गहरे होंगे। परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में असैन्य सहयोग भी मील का पत्थर साबित होगा। कृत्रिम मेधा और नवाचार की दिशा में भारत और फ्रांस ने एक बड़ा लक्ष्य तय किया है। सुरक्षित और विश्वसनीय कृत्रिम मेधा के विकास के लिए दोनों देश अब साझा रूप से काम करेंगे। यह विकसित प्रौद्योगिकी वैश्विक हितों के लिए काम करेगी। कुल मिला कर देखें, तो भारत और फ्रांस के बीच प्रगाढ़ होते संबंध चीन और अमेरिका को संदेश देने का भी प्रयास है। एक न्यायसंगत व शांतिपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कायम करने के लिए भारत ने फ्रांस से हाथ मिलाया है। सहयोग का यह मार्ग लंबा है, दोनों मित्रता निभाते हुए आगे बढ़ेंगे।