भारत और ब्रिटेन के बीच एक बार फिर मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत का सिलसिला शुरू होने जा रहा है। ब्रिटेन इसे लेकर उत्साहित है और उसे उम्मीद है कि अगले दस वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार दो से तीन गुना तक बढ़ सकता है। इस बातचीत के किसी सार्थक नतीजे पर पहुंचने की उम्मीद इसलिए भी जताई जा रही है कि अमेरिका अपनी शुल्क नीति को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है। ट्रंप प्रशासन ने घोषणा कर रखी है कि जो हम पर जितना शुल्क लगाएगा, हम भी उस पर उतना ही शुल्क लगाएंगे।
इससे कई देशों के सामने व्यापार में घाटे का संकट पैदा हो गया है। हालांकि चीन ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि वह इस मसले को विश्व व्यापार संगठन में उठाएगा, क्योंकि अमेरिका की शुल्क नीति विश्व व्यापार नियमों के विरुद्ध है। पर अमेरिका के रुख में कोई नरमी नजर नहीं आ रही। ऐसे में कई देश वैकल्पिक बाजार की तलाश में हैं। भारत को भी विकल्पों की तलाश है। ऐसे में, उन्हीं देशों के साथ व्यापार बढ़ाने का प्रयास सफल हो सकता है, जिनके साथ पहले से व्यापारिक संबंध मजबूत हैं।
दोनों देशों के बीच है बहुत ही पुराने संबंध
ब्रिटेन के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत पुराने और मजबूत हैं। फिलहाल दोनों देशों के बीच करीब बीस अरब डालर का व्यापार होता है। दोनों इसे कम से कम दो गुना तक बढ़ाना चाहते हैं। इस संबंध में मुक्त व्यापार समझौते को लेकर पिछले चार वर्षों से बातचीत चल रही है। अब तक दस दौर की बात हो भी चुकी है। आम चुनाव के चलते यह सिलसिला रुक गया था। ब्रिटिश व्यापार सचिव की भारत यात्रा के बाद उसके फिर से शुरू होने पर सहमति बनी है। मुक्त व्यापार समझौते से स्वाभाविक रूप से दोनों के बीच व्यापार बढ़ेगा।
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उसके बाद दोनों देश एक-दूसरे के उत्पाद पर नाममात्र का शुल्क लगाएंगे। फिर, भारत और ब्रिटेन इस वक्त अपने विनिर्माण क्षेत्र में आई सुस्ती से पार पाने के उपाय तलाश रहे हैं। वह व्यापार में बढ़ोतरी से ही संभव हो सकता है। भारत का निर्यात लक्ष्य से काफी नीचे चल रहा है, जबकि आयात बढ़ रहा है। इस तरह चीन आदि कई देशों के साथ व्यापार घाटा काफी बढ़ गया है। लिहाजा, भारत की भी कोशिश है कि ब्रिटेन के साथ व्यापार को गति मिले, ताकि इस संकट से पार पाने में मदद मिले।
मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत की कामयाबी फिलहाल ब्रिटेन के रुख पर निर्भर
अगर ब्रिटेन के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता होता है, तो भारत से चमड़ा, कपड़ा, जेवर, सूचना तकनीक, दवा और कृषि आदि उत्पाद का ब्रिटेन में निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। ब्रिटेन अपने उन्नत विनिर्माण, स्वच्छ ऊर्जा और व्यापार सेवाएं भारत में बेचना चाहता है। जाहिर है, जिन चीजों पर अधिक शुल्क लगने की वजह से अमेरिका में भारत के लिए बाजार सिकुड़ने की आशंका जताई जा रही है, उनकी ब्रिटेन में पहुंच आसान हो जाएगी।
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मगर फिलहाल अड़चन भारतीय नागरिकों की ब्रिटेन में आवाजाही, कारोबार आदि के लिए वीजा शर्तों को आसान बनाने को लेकर आ रही है। ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन के बाद बाहरी लोगों के लिए नियम और शर्तें कठोर कर दी गई हैं। इससे ब्रिटेन में रह रहे भारतीय मूल के नागरिकों के सामने कई मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। वहां जाने वाले विद्यार्थियों आदि के लिए जगहें कम पड़ गई हैं। ऐसे में मुक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत की कामयाबी फिलहाल ब्रिटेन के रुख पर निर्भर है।