यह एक ऐसा क्रिकेट मैच था, जिसमें कीर्तिमानों की झड़ी लग गई। विदेशी सरजमीं पर भारतीय टीम की जीत सचमुच ऐतिहासिक है, क्योंकि इससे पहले भारत ने यहां कभी कोई टेस्ट मैच नहीं जीता था। मगर भारत के नए और युवा खिलाड़ियों की टीम की असीम ऊर्जा के आगे इंग्लैंड बुरी तरह लड़खड़ा गया। उत्साह से लबालब खिलाड़ियों ने शानदार बल्लेबाजी कर जिस तरह एक तरह से बर्मिंघम का तिलिस्म तोड़ा है, उसे मेजबान देश हमेशा याद रखेगा।

यह कप्तान शुभमन गिल और उनकी टीम के कौशल का ही परिणाम था कि भारत ने इंग्लैंड को 336 रनों से हरा कर एजबेस्टन में जीत का झंडा लहरा दिया। इस दौरान हर भारतीय खिलाड़ी का प्रदर्शन देखने लायक था। शुभमन ने जहां एक पारी में 269 तो दूसरी पारी में 161 रन बनाए। उनका यह प्रदर्शन इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि वे विदेश में छब्बीस वर्ष से भी कम उम्र में टेस्ट मैच जीतने वाली टीम के सबसे युवा भारतीय कप्तान बन गए हैं। इससे पहले सुनील गावस्कर ने सबसे कम उम्र में न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत दर्ज की थी। शुभमन दसवें ऐसे बल्लेबाज भी बन गए हैं, जिन्होंने एक ही टेस्ट मैच में दोहरा शतक जड़ा है।

एजबेस्टन में पहली बार जीता भारत

एक कीर्तिमान यह भी बना कि एजबेस्टन में भारत की पहली बार जीत हुई। इससे पहले यहां नौ मुकाबलों में उसे आठ में हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, यहां जीत हासिल करने वाली यह पहली एशियाई टीम भी बन गई है। रनों के मामले में भी विदेशी धरती पर भारत ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इससे पहले 2019 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेलते हुए भारत ने 318 रन बना कर जीत को अपने खाते में डाला था।

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दूसरी ओर गेंदबाज आकाश दीप ने दस विकेट झटक कर भारतीय क्रिकेट की तस्वीर को और भी चमकदार और सुनहरा बना दिया है। दरअसल, बर्मिंघम में शानदार विजय से साबित हो गया कि हमारे पास अब एक समर्थ टीम है। आमतौर पर विदेशी धरती पर पिच की प्रकृति के मुताबिक ही खिलाड़ियों के बल्ले और गेंद का रुख, फिर उसी से जीत-हार की दिशा भी तय होती है। मगर एजबेस्टन में भारतीय टीम ने दिखाया कि दमखम के साथ-साथ पिच से तालमेल बिठा कर कैसे अपने पांव टिकाए जाते हैं और दांव जीता जाता है।