गोवा के एक नाइट क्लब में आग की भयावह घटना ने भीड़-भाड़ वाले स्थलों पर सुरक्षा इंतजामों में लापरवाही को फिर से उजागर किया है। जैसे-जैसे इस हादसे की परतें खुल रही हैं, विभिन्न स्तरों पर कोताही बरतने के तथ्य सामने आ रहे हैं। अग्निशमन सुरक्षा उपायों के अभाव से लेकर आपात स्थिति में बचाव की माकूल व्यवस्था न होना यह दर्शाता है कि न तो क्लब के मालिकों और न ही स्थानीय प्रशासन को यहां आने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई फिक्र थी।

इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन अब न्याय की मांग कर रहे हैं, लेकिन पुलिस मुख्य आरोपियों को न्याय के कठघरे में ला पाएगी या नहीं, इसको लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि क्लब के मालिक एवं दोनों मुख्य आरोपी हादसे के बाद देश छोड़कर विदेश भाग गए हैं।

यानी हादसे के बाद भी पुलिस सतर्कता दिखाने और अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लेने में चूक गई। जांच एजंसी का ध्यान क्लब के प्रबंधकीय कर्मियों की धरपकड़ पर ही केंद्रित रहा और इस बीच मुख्य आरोपी बच निकलने में कामयाब हो गए।

गौरतलब है कि उत्तरी गोवा स्थित ‘बर्च बाय रोमियो लेन’ नाइट क्लब में शनिवार रात लगी भीषण आग में पच्चीस लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद पुलिस ने संबंधित क्लब में प्रबंधकीय कार्य में तैनात कुछ कर्मियों को गिरफ्तार किया। प्रारंभिक जांच के बाद माना जा रहा है कि क्लब में ‘इलेक्ट्रिक पटाखे’ चलाए जाने से आग लगी।

हालांकि, इसके असली कारणों का पता जांच पूरी होने के बाद ही चल पाएगा। मगर सवाल यह है कि हादसे के बाद पुलिस ने कार्रवाई में कितनी तत्परता दिखाई? ऐसी क्या वजह रही कि दोनों मुख्य आरोपी पुलिस को चकमा देकर देश छोड़कर थाईलैंड भाग गए। क्या पुलिस को इनके फरार होने की जरा भी आशंका नहीं थी? किसी जांच एजंसी से इस तरह की लापरवाही की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

हैरत की बात है कि पुलिस ने हादसे के तुरंत बाद क्लब के मालिकों तक पहुंचने की जरूरत नहीं समझी। जांच दल ने सोमवार को जब दिल्ली स्थित उनके ठिकाने पर छापेमारी की, तब पता चला कि वे विदेश भाग गए हैं। ऐसे में पुलिस की जांच प्रणाली पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

कानूनी मामलों के जानकारों का कहना है कि दोनों मुख्य आरोपियों को अब भारत वापस लाकर न्याय के कठघरे में खड़ा करना आसान नहीं होगा। भले ही पुलिस के प्रयासों से इंटरपोल की ओर से उनके खिलाफ ‘ब्लू कार्नर’ नोटिस जारी कर दिया गया है, मगर यह भी संभव है कि वे थाईलैंड से किसी और देश भाग जाएं। यानी उन्हें गिरफ्तार कर वापस लाने की प्रक्रिया लंबी हो सकती है। एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस हादसे के बाद राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने एक विस्तृत परामर्श जारी किया है।

इसके तहत नाइट क्लब, रेस्तरां, बार, कार्यक्रम स्थलों और इसी तरह के अन्य प्रतिष्ठानों को अग्नि एवं विद्युत सुरक्षा, आपातकालीन तैयारी और सक्षम प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित संरचनात्मक सुरक्षा मानदंडों का पुरी तरह अनुपालन करने का निर्देश दिया गया है।

इसे लापरवाही नहीं तो और क्या कहा जाएगा कि किसी बड़े हादसे के बाद ही इस तरह के निर्देश जारी करने की जरूरत महसूस की जाती है। इसमें दोराय नहीं कि अगर पहले से ही नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए, तो इस तरह के हादसों को रोका जा सकता है।