विमानन कंपनी इंडिगो में उड़ान परिचालन का संकट अभी थमा नहीं है। अब तक हजारों उड़ानें रद्द की जा चुकी हैं, जिसका सीधा असर यात्रियों पर पड़ा है। सरकार ने इस मामले की तहकीकात शुरू कर दी है और साथ ही स्पष्ट किया है कि जांच निष्कर्षों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। इसी क्रम में स्थिति को संभालने के लिए सरकार ने इंडिगो की उड़ानों में दस फीसद की कटौती कर दी है।

इस बात को तो सरकार ने भी माना है कि व्यवस्थागत खामियों की वजह से यह संकट पैदा हुआ है, लेकिन किस स्तर पर चूक हुई है, इसका पता जांच पूरी होने के बाद ही चल पाएगा। मगर सवाल है कि यह संकट खड़ा होने से पहले ही इसका समाधान तलाशने की जरूरत क्यों महसूस नहीं की गई? इस अव्यवस्था का खमियाजा यात्रियों को क्यों भुगतना पड़ रहा है? दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी बुधवार को इस पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि आखिर ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न होने दी गई। साथ ही कहा कि यह यात्रियों को हुई परेशानी और उत्पीड़न के अलावा देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का भी सवाल है।

हैरत की बात है कि जिन नए नियमों की वजह से इंडिगो में उड़ान परिचालन का संकट उपजा, उस आदेश को वापस लेने के बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पा रही है। मसला सिर्फ यह नहीं है कि उड़ान रद्द होने से यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने में परेशानी हुई, बल्कि उन्हें दूसरी कंपनियों की उड़ान का सहारा लेने के लिए सामान्य से कई गुना अधिक किराये का भुगतान करना पड़ा। यही वजह है कि उच्च न्यायालय ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए सवाल किया कि ऐसी संकटपूर्ण स्थिति में अन्य विमानन कंपनियां हालात का फायदा उठाकर यात्रियों से टिकटों के लिए भारी कीमत कैसे वसूल सकती हैं!

हालांकि, इस समस्या के उजागर होने के बाद सरकार ने फिलहाल दूरी के आधार पर हवाई किराये की सीमा तय कर दी है, लेकिन सवाल यह है कि विमानन कंपनियों की यह मनमानी कोई एक बार की बात नहीं है। जब कभी उड़ान परिचालन का संकट पैदा होता है या फिर अत्यधिक व्यस्त समय हो, तो यात्रियों से मनमाना किराया वसूलना आम बात है। आखिर सरकार की ओर से इस पर अंकुश लगाने के लिए स्थायी तौर पर व्यवस्था क्यों नहीं की जाती है?

इसमें दो राय नहीं है कि पिछले करीब एक सप्ताह से उड़ान परिचालन में संकट के कारण अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है। देश भर में हर रोज हजारों लोग विमानों में सफर करते हैं और अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने में विमानन क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। इंडिगो देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी है और घरेलू उड़ान क्षेत्र के लगभग पैंसठ फीसद हिस्से को नियंत्रित करती है।

सरकार का तर्क है कि इंडिगो की उड़ानों में कटौती से परिचालन को सामान्य करने में मदद मिलेगी। वहीं, नागर विमानन महानिदेशालय ने कंपनी पर निगरानी के लिए आठ सदस्यीय दल गठित किया है, जो रोजाना उड़ानों के परिचालन पर गहन नजर रखेगा। सवाल है कि इस तरह के उपाय अगर जरूरी थे, तो सरकार ने संकट पैदा होने के तत्काल बाद ये कदम क्यों नहीं उठाए? यात्रियों को केवल विमानन कंपनियों के भरोसे क्यों छोड़ दिया गया?

उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार और विमानन कंपनियां जनहित को सर्वोपरि रखकर स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएंगी, ताकि भविष्य में इस तरह का संकट पैदा न हो।