सड़क हादसों में ज्यादातर की वजह कुछ वाहन चालकों की ऐसी लापरवाही होती है, जिसमें इस बात का खयाल रखना जरूरी नहीं समझा जाता कि अन्य व्यक्ति के जीवन का भी कोई मोल है। यह सही है कि बहुत सारे लोग सड़क पर सावधानी और जिम्मेदारी से वाहन चलाते हैं और इस तरह वे सड़क पर सफर कर रहे अन्य लोगों के साथ-साथ अपनी जिंदगी की भी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। मगर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो शायद यह मान कर चलते हैं कि उनके लिए दूसरों के जीवन की कोई अहमियत नहीं है।
नोएडा में हाल ही में तीन लोगों को कुचल दिए थे वाहन चालक
दिल्ली से सटे नोएडा में बुधवार की रात तीन लोग सड़क के किनारे सो रहे थे, तब एक वाहन चालक उन तीनों को बुरी तरह कुचल कर फरार हो गया। उनमें से दो की मौत हो गई, तीसरा बुरी तरह घायल हो गया। इतना तय है कि हादसे के शिकार लोगों के पास शायद फिलहाल वही ठिकाना था और वे सड़क किनारे की किसी जगह को सुरक्षित मान कर वहां सो रहे थे। अगर किसी बेलगाम वाहन ने उन्हें कुचल डाला, तो इसे चालक की आपराधिक लापरवाही ही कहा जाना चाहिए।
निश्चित रूप से सड़कों के किनारे आसपास की जगहें सोने के लिए नहीं होती हैं और वहां हमेशा जोखिम बना रहता है। मगर एक समस्या यह है कि महानगरों में रोजी-रोटी की तलाश में आए किसी व्यक्ति के पास अगर पैसे का अभाव या किसी मजबूरी की वजह से रहने का ठिकाना नहीं है, तो उसे कई बार सड़कों के किनारे या फुटपाथों पर सोना पड़ जाता है। सरकार की ओर से घोषित तौर पर रैन बसेरे जैसी व्यवस्था है, लेकिन या तो वह बेघर लोगों की संख्या के लिहाज से अपर्याप्त है या फिर इस कदर कुव्यवस्था का शिकार है कि वहां ज्यादातर लोग नहीं जाना चाहते।
अक्सर ऐसे हादसों की खबरें आती रहती हैं, जिनमें किसी वाहन चालक की लापरवाही की वजह से फुटपाथ पर सो रहे लोगों की कुचल कर मौत हो गई। यह समझना मुश्किल है कि इस तरह वाहन चला रहे किसी व्यक्ति को कितनी हड़बड़ी और कैसी बेफिक्री होती है कि उसे सड़क पर मौजूद अन्य लोगों की जिंदगी और हालात की अहमियत समझना जरूरी नहीं लगता।