जिस वक्त हर तरफ वायु प्रदूषण को लेकर चिंता छाई हुई है, प्रदूषण-रहित बस का अवतरण एक तसल्ली देने वाली घटना है और भविष्य का एक संकेत भी। सोमवार को प्रधानमंत्री ने रेट्रोफीट इलेक्ट्रिक बस का निरीक्षण किया और इसकी चाबी लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को सौंपी। सांसदों को संसद भवन लाने-ले जाने के लिए बिजली-चालित बस को हरी झंडी दिखाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवता इस वक्त एक बड़ी चुनौती से जूझ रही है; पर्यावरण संरक्षण के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने की जरूरत है। पर्यावरणविद बहुत पहले से आगाह करते आ रहे थे कि हमें जीवाश्म र्इंधन और बिजली उत्पादन के प्रचलित साधनों के बजाय धूप और हवा जैसे ऊर्जा के अक्षय स्रोतों की तरफ बढ़ना चाहिए। इसके सिवा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि कॉर्बन उत्सर्जन को झेलने की इंसान और पृथ्वी के वायुमंडल की जो सीमा है वह आ चुकी है। यह चेतावनी लगातार अनुसनी की जाती रही और इसी का नतीजा है कि चारों तरफ लोग प्रदूषण से हलाकान हैं।

ग्लोबल वार्मिंग आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है। इससे निजात पाने के जो उपाय सुझाए जा रहे हैं उनमें सबसे प्रमुख यह है कि ऊर्जा उत्पादन और परिवहन की नई तकनीक विकसित की जाए। सौर ऊर्जा का स्रोत सबसे व्यापक और सबसे टिकाऊ है और इससे कोई प्रदूषण भी नहीं होता। यही कारण है कि आज दुनिया में सौर ऊर्जा के अधिकाधिक इस्तेमाल की वकालत की जा रही है। इसी के मद््देनजर पेरिस के जलवायु सम्मेलन के दौरान भारत, अमेरिका और फ्रांस की पहल पर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन बना, जिसमें एक सौ बाईस देश सम्मिलित हुए। इस गठबंधन का मकसद सौर ऊर्जा के अधिक से अधिक दोहन के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जुटाना है।

यों यह ऐसी ऊर्जा है जिसे हर हाल में स्थानीय स्तर पर ही उत्पादित किया जाना है, पर इसकी तकनीकी प्रगति के फैलाव के लिए उन देशों का सहयोग बहुत उपयोगी साबित होगा जो इसमें अग्रणी हैं। मसलन, जर्मनी इसमें अव्वल है जहां पंद्रह लाख सौर संयंत्र हैं। भारत ने भी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्त्वाकांक्षी योजना बनाई है और अब इस दिशा में उसके प्रयासों में तेजी भी दिखती है। कोच्चि का हवाई अड्डा सौर ऊर्जा पर निर्भर देश का पहला हवाई अड््डा है। बीते दो अक्तूबर को झारखंड में सौर-ऊर्जा से संचालित एक जिला न्यायालय का उद््घाटन हुआ। कई सोलर पार्क बनाए जा रहे हैं। दफ्तरों, कॉलेजों और अन्य सार्वजनिक इमारतों की छतों पर सोलर पैनल लगाने और ‘सूर्यपुत्रों’ के रूप में सौर ऊर्जा के लिए कामगारों की बड़ी फौज तैयार करने की योजना बन चुकी है। देश में ऊसर भूमि के नायाब उपयोग का सोलर पार्क से अच्छा और क्या विकल्प होगा? केंद्रीय परिवहन मंत्रालय चाहता है कि दो साल के भीतर राज्य परिवहन निगमों की भी सारी बसें बिजली-चालित वाहन के रूप में परिवर्तित कर दी जाएं। ऐसा हो सके तो हरित-परिवहन की दिशा में बड़ी उपलब्धि होगी। सौर ऊर्जा के साथ फिलहाल दिक्कत यह है कि इस पर लागत अधिक आती है। पर एक बार निवेश करने के बाद यह सस्ती पड़ती है। फिर, तकनीकी अनुसंधान और विकास से इसकी निवेश-लागत भी घटाई जा सकेगी।