जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में हुए बस हादसे से एक बार फिर यही साफ हुआ है कि बार-बार होने वाले ऐसी घटनाओं के बावजूद न तो सरकार की ओर से सुरक्षा इंतजामों को लेकर जरूरी गंभीरता दिखाई जाती है, न वाहन चालकों को यह ध्यान रखने की जरूरत लगती है कि उनकी मामूली लापरवाही का अंजाम क्या हो सकता है।
बुधवार को किश्तवाड़ से जम्मू की ओर जा रही एक बस अनियंत्रित होकर करीब तीन सौ फुट गहरी खाई में जा गिरी। इस हादसे में कम से कम छत्तीस लोगों की मौत हो गई और उन्नीस बुरी तरह घायल हो गए। यह पिछले कुछ समय में हुए बड़े हादसों में से एक है, जो बताता है कि तमाम संसाधनों और विकासात्मक गतिविधियों के बावजूद सड़क सुरक्षा को लेकर अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
शुरुआती जांच में पुलिस ने बताया कि हादसे के वक्त सड़क पर तीन बसें एक साथ चल रही थीं। आगे निकलने की होड़ में एक बस अनियंत्रित हो गई और खाई में जा गिरी। हैरानी की बात यह है कि पहाड़ों की ऊंचाई में बनी सड़कों पर चलने के बावजूद चालक को पल भर के लिए भी यह नहीं लगा कि उसकी सबसे मामूली चूक का हश्र क्या हो सकता है।
सवाल है कि अगर होड़ लगाने की वजह से ही यह हादसा हुआ तो ऐसे इलाके में वाहन चलाते हुए किसी भी चालक को इस तरह की आपराधिक लापरवाही बरतने से रोकने के लिए क्या प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं है? निश्चित रूप से जोखिम से भरी किसी भी सड़क पर वाहनों के बीच आगे निकलने की होड़ लगाने जैसी लापरवाही के लिए शून्य सहनशीलता की नीति होनी चाहिए।
इसके लिए वाहन चालकों के प्रति जिस हद तक सख्त नियम लागू करने पड़ें, किए जाने चाहिए। लेकिन किसी अन्य वजह से भी अगर कोई बस अनियंत्रित हो जाती है तो सड़क किनारे ऐसे मजबूत सुरक्षा घेरे क्यों नहीं लगाए जा सकते, जो हादसे के ज्यादा गंभीर रूप लेने से रोकने में मददगार साबित हों? यह कोई छिपा तथ्य नहीं है कि पहाड़ी राज्यों में आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं और ऐसी हर घटना के बाद पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा होती है, इन इलाकों में सुरक्षा इंतजामों को लेकर कुछ दिन चर्चा होती है, मगर ईमानदार इच्छाशक्ति के साथ कोई सक्रियता नहीं दिखती।
किसी भी हादसे का सबक यह होना चाहिए कि ऐसे इंतजाम किए जाएं, नियमों को जमीनी स्तर पर लागू करने को लेकर ऐसी सख्ती हो, ताकि भविष्य में वैसा फिर न हो। मगर आए दिन होने वाले त्रासद हादसे हर स्तर पर बरती जाने वाली उदासीनता को ही दर्शाते हैं। अव्वल तो किसी भी हाल में निर्धारित गति से ज्यादा तेज रफ्तार से वाहन चलाने या आगे निकलने की होड़ लगाने से रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
साथ ही, पर्वतीय क्षेत्र की हर सड़क के किनारे क्रैश बैरिअर, पैराफिट लगाने सहित अन्य सभी सुरक्षा इंतजाम किए जाएं। पर्वतीय मार्गों पर कई जगहों पर अचानक आने वाले ऐसे मोड़ होते हैं, जहां अतिरिक्त सावधानी नहीं बरती जाए तो उसका नतीजा भयावह हो सकता है। ऐसे अप्रत्याशित हादसों को रोकने के लिए जोखिम वाली हर सड़क के किनारे क्रैश बैरिअर लगाए जाने की बातें आज भी आधी-अधूरी हैं।
इसके अलावा, सड़क सुरक्षा के तहत पैराफिट लगाना, साइन बोर्ड के जरिए गति नियंत्रण से लेकर हर तरह की चेतावनी देना जैसे काम भी अगर पूरी तरह कर सुनिश्चित कर दिए जाएं, तो हादसों की संख्या और उनमें लोगों के मरने की आशंका को काफी कम किया जा सकता है।