आधुनिक तकनीकी सुविधाओं के विस्तार के साथ इससे जुड़े जटिल खतरे अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बनने लगे हैं। ऐसे अनेक मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें किसी व्यक्ति को वीडियो काल करके उसे बातों के जाल में फंसाया गया, उसके या उसके बच्चों के किसी अपराध में शामिल होने की बात करके डराया गया, घर के एक कमरे में बंद रहने और फिर एक बड़ी रकम भेजने पर मजबूर किया गया। इसे आजकल ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जा रहा है।
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इस संजाल में लोगों के फंसने के कई मामले सामने आ चुके हैं। आम जिंदगी में तकनीक के लगातार बढ़ते दखल और उस पर निर्भरता के समांतर निश्चित तौर पर यह व्यापक चिंता का विषय है और इसके बारे में जनता के बीच जागरूकता फैलाने से लेकर इससे निपटने के लिए ठोस उपाय निकालने की जरूरत है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में इंटरनेट के सहारे ‘डिजिटल अरेस्ट’ या अन्य तरीकों से चल रही ठगी को लेकर आम जनता को यह संदेश दिया कि वे इस संजाल में न फंसें।
यह जगजाहिर तथ्य है कि अक्सर लोगों के पास इस तरह के फोन आते रहते हैं, जिनमें पुलिस अधिकारी के वेश में कोई व्यक्ति वीडियो काल करके खुद को किसी महकमे या संस्थान का अधिकारी बता कर किसी से जुर्माना या फिर पैसा चुकाने को कहता है। फोन पर ऐसे आधार या संदर्भ बताए जाते हैं कि कई लोग डर कर बातों के जाल में फंस जाते हैं और मांगी गई रकम बैंक खाते के जरिए भेज देते हैं। जबकि हकीकत यह है कि कोई भी सरकारी एजंसी किसी व्यक्ति को फोन पर वीडियो या आडियो के जरिए बात करके न तो किसी संबंध में पूछताछ करती है और न ही पैसों की मांग करती है।
साइबर ठगी से अनजान लोग हो रहे शिकार
मगर इस सामान्य जानकारी से अनजान कई लोग फोन पर ठगी करने वालों की बातें मान लेते हैं। बाद में जब उन्हें अपने साथ हुई ठगी का पता चलता है, तब तक उनके साथ बहुत कुछ गड़बड़ हो चुका होता है। जाहिर है, इंटरनेट के इस्तेमाल से संबंधित जागरूकता और प्रशिक्षण के अभाव या फिर साइबर अपराधों की दुनिया से अनजान लोग ऐसी ठगी में फंस कर कई बार बड़ा नुकसान उठाते हैं।
क्या उपराज्यपाल को अपनी ही जिम्मेदारी का एहसास नहीं?
ऐसे में प्रधानमंत्री की सलाह इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि ‘डिजिटल अरेस्ट’ सहित साइबर ठगी के अन्य संदर्भों में उन्होंने लोगों को सावधान रहने की जो सलाह दी, उसकी पहुंच का दायरा बहुत बड़ा है। निश्चित तौर पर बहुत सारे लोगों को इससे इंटरनेट के अलग-अलग मंचों का उपयोग करते समय सतर्क रहने में मदद मिलेगी। मगर आधुनिक तकनीकी के फैलते पांव के साथ जैसे-जैसे डिजिटल माध्यमों पर लोगों की निर्भरता बढ़ती जा रही है, खुद सरकार भी ज्यादातर शासकीय सेवाएं डिजिटल तंत्र के जरिए लोगों तक पहुंचाने पर जोर दे रही है, तो ऐसे में इस माध्यम के उपयोग को सबके लिए हर तरह से सुरक्षित और सहज बनाया जाना चाहिए।
मामुली जानकारी के अभाव में बैंक खाता हो जाता है बंद
यह छिपा नहीं है कि कई बार बिना किसी मजबूत आधार के, लोगों के बैंक खाते बंद या बाधित कर दिए जाते हैं या फिर किसी मामूली नुक्ते की वजह से सेवाएं रोक दी जाती हैं। अगर इंटरनेट की सुविधाओं के बरक्स साइबर अपराध की जटिलता का हल निकालने की ठोस व्यवस्था नहीं की गई, तो धीरे-धीरे लोग डिजिटल माध्यमों का उपयोग करने को लेकर हिचकेंगे।
