राजधानी दिल्ली में लालकिला के पास एक कार में हुए धमाके की घटना ने एक बार फिर यहां की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंताजनक सवाल खड़ा किया है, वहीं इस बात को लेकर एक आशंका खड़ी हो रही है कि क्या आतंकवादी संगठनों ने दोबारा अपने पांव फैलाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि कार में हुए धमाके को लेकर फिलहाल कोई अंतिम निष्कर्ष सामने नहीं आया है कि विस्फोट का कारण क्या था, इसलिए इसके पीछे की मंशा के बारे में तभी कुछ ठोस सामने आ सकेगा, जब सरकार की ओर से कराई जाने वाली जांच की आधिकारिक रपट कोई संकेत करेगी। मगर धमाके का स्वरूप और उससे होने वाले नुकसान का जो दायरा दिखा, वह बेहद चिंताजनक है। इसमें किसी व्यापक साजिश की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि सोमवार की शाम एक कार में हुए विस्फोट के बाद आसपास खड़े कई अन्य वाहन उसकी जद में आ गए और कई लोगों की जान चली गई। घटना स्थल से जानमाल के नुकसान के जैसे ब्योरे सामने आए, वे किसी बड़े आतंकवादी हमले या बम विस्फोट की तस्वीर से ज्यादा अलग नहीं थे। जाहिर है, अब देश की जांच एजंसियां इस धमाके के बारे में विस्तृत पड़ताल कर सच्चाई का पता लगाएंगी। फिलहाल जांच के बिंदु में सभी कोण शामिल होने चाहिए, क्योंकि देश की राजधानी में हुई यह घटना बेहद संवेदनशील है और कई तरह के खतरों का संकेत भी हो सकती है।
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यही वजह है कि इस मामले में यूएपीए, विस्फोटक अधिनियम और अन्य सख्त धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच का दायरा व्यापक रखा गया है। निश्चित रूप से इस धमाके की सभी कड़ियों की पड़ताल कर दोषियों को सजा के अंजाम तक पहुंचाने की जरूरत है, मगर सवाल यह भी उठता है कि राजधानी होने के नाते सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से सबसे चौकस और बेहतर मानी जाने वाली दिल्ली में इतनी बड़ी घटना हो गई और सुरक्षा एजंसियों को इसके बारे में कोई अंदाजा तक नहीं हुआ, तो यह किसकी नाकामी है!
इस घटना के तार एक दिन पहले आतंकी तंत्र के एक हिस्से के खुलासे के तहत फरीदाबाद में गिरफ्तार किए गए लोगों के साथ जुड़े होने की आशंका भी जताई जा रही है। लेकिन कार में धमाके की वजह अगर कोई विस्फोटक था, तो उसे वाहन में लेकर कोई व्यक्ति बिना किसी रोकटोक के सड़क पर कैसे चलता रहा और क्या यह देश की खुफिया एजंसियों की कार्यशैली के चिंताजनक पहलू को नहीं दर्शाता है!
सबसे अहम है दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को चौतरफा चाकचौबंद बनाना, ताकि यहां के लोगों को अतीत की वैसी त्रासदी का सामना फिर से करने की नौबत कभी न आए, जब यहां सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे और उसमें कई लोग मारे गए। आतंकी हमलों के वैसे दौर की वापसी न हो, इसके लिए सरकार को हर जरूरी कदम उठाने चाहिए। खासतौर पर किसी अंतरराष्ट्रीय साजिश के पहलू से इस घटना की गहन छानबीन होनी चाहिए। सिर्फ दावे करने भर से आतंकवाद का खात्मा होना मुमकिन नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में आज भी आतंकियों की घुसपैठ और हमले की कोशिशें बताती हैं कि देश में आतंकवाद आज भी एक ऐसी चुनौती है, जिसे लेकर थोड़ी भी लापरवाही की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सरकार की सबसे जरूरी प्राथमिकता यहां के आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होना चाहिए। इसके लिए खुफिया एजंसियों सहित सुरक्षा व्यवस्था के सभी मोर्चों पर निरंतर चौकस रहने की जरूरत है।
