किसी भी हादसे का सबक यह होना चाहिए कि नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए, ताकि अपने गंतव्य के लिए निकले लोगों के सामने जान गंवाने की नौबत न आए। मगर ऐसा लगता है कि हमारे यहां हादसों को लेकर सड़क प्रबंधन से जुड़े महकमे और निजी इकाइयों से लेकर आम लोगों के बीच भी कोई सजगता नहीं है, जबकि एक पल की चूक या लापरवाही की वजह से नाहक ही कइयों की जान चली जाती है।

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर मंगलवार को हुआ हादसा इसका प्रमाण है कि ऐसी लगातार त्रासद घटनाओं के सामने आते रहने के बावजूद कोई भी सबक लेने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि इस एक्सप्रेस-वे पर एक स्कूल बस उल्टी दिशा से आ रही थी और उससे तेज रफ्तार में अपने रास्ते जा रही एक कार की सीधी टक्कर हो गई। इसमें छह लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। गनीमत रही कि हादसे के वक्त बस में स्कूली बच्चे सवार नहीं थे। वरना कल्पना की जा सकती है कि इस घटना के बाद क्या हालत होती।

इसमें कोई संदेह नहीं कि एक्सप्रेस-वे जैसी सड़क पर उल्टी दिशा से आने वाली बस का ड्राइवर इसके लिए साफतौर पर जिम्मेदार है। लेकिन इस हादसे का जो स्वरूप सामने आया, वह एक्सप्रेस-वे पर सफर के प्रबंधन से जुड़े सभी लोगों की बहुस्तरीय लापरवाही का एक शर्मनाक उदाहरण है। सवाल है कि किसी भी वजह से स्कूल बस का ड्राइवर उल्टी दिशा से कैसे प्रवेश कर गया और कई किलोमीटर तक निर्बाध चलता रहा?

दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का प्रबंधन किसके पास है और ऐसी स्थिति में किसी वाहन को तत्काल रोकने और उस पर कार्रवाई की क्या व्यवस्था है? हैरानी की बात है कि इस तरह की सड़कों पर रफ्तार की वजह से कुछ खास वाहनों के इस पर चलने को सीमित या प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन क्या बाकी गाड़ियों के तय सीमा में चलने को लेकर कोई ठोस व्यवस्था है?

सड़क पर हर जगह सीसीटीवी की व्यवस्था तो कर दी गई है, लेकिन उसमें निर्धारित गति से ज्यादा तेज या अपनी लेन में नहीं चलने वाले वाहनों को रोकने या नियंत्रित करने की क्या कोई व्यवस्था है? ऐसे लंबे मार्गों पर इसके प्रबंधन से जुड़े विभाग या किसी संबंधित कंपनी की ओर से अचानक उपजी परिस्थिति या हादसे की हालत में सहायता के लिए क्या इंतजाम किए जाते हैं?

दरअसल, एक्सप्रेस-वे को सड़क से लेकर घेरेबंदी आदि हर स्तर पर इस स्वरूप में बनाया जाता है कि उस पर आवाजाही को न केवल निर्बाध और तेज रफ्तार बनाया जा सके, बल्कि नियमों के अनुकूल सुरक्षित सफर भी सुनिश्चित किया जा सके। लेकिन हकीकत यह है कि देश भर के एक्सप्रेस-वे पर केवल तेज रफ्तार की वजह से हर साल लगातार हादसे सामने आते रहते हैं और उनमें सैकड़ों लोगों की नाहक ही जान चली जाती है।

केवल अच्छी और तेज रफ्तार निर्बाध सड़कें ही सहज यातायात के लिए जरूरी नहीं हैं, बल्कि किसी भी वाहन चालक के लिए सबसे पहले उस पर चलने का सलीका सीखने या उचित प्रशिक्षण की जरूरत है। अगर किसी वाहन चालक से कोई लापरवाही होती है, तो उसे तत्काल रोकने के लिए एक ठोस और सक्रिय तंत्र होना चाहिए। उचित लेन में सफर, गति की सीमा, वाहन के टायर-इंजन से लेकर हर स्तर पर पूरी तरह दुरुस्त होने जैसे कुछ प्राथमिक नियमों का पालन करके ऐसी गलतियों से बचा जा सकता है, जो किसी बड़े हादसे या त्रासदी की वजह बन जाती हैं।