प्रोद्योगिकी के इस दौर में आज अधिकतर कार्य तकनीक के जरिए होने लगे हैं। घरों की साफ-सफाई से लेकर दफ्तर के कार्यों में मशीनों की मदद ली जा रही है। यानी हम तकनीक पर इतने ज्यादा निर्भर हो गए हैं कि उसमें जरा-सी खराबी आने पर सारी व्यवस्था ठप पड़ जाती है। इसमें दोराय नहीं कि तकनीक का इस्तेमाल आज के समय की जरूरत है, लेकिन सुरक्षात्मक और वैकल्पिक उपायों का होना भी बेहद जरूरी है, नहीं तो दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार को जो स्थिति उत्पन्न हुई, उस तरह का संकट पैदा होना स्वाभाविक है।

गौरतलब है कि तकनीकी खामी के कारण यहां आठ सौ से अधिक घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में विलंब हुआ और कुछ उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे यात्रियों को खासी परेशानी हुई। प्रभावित उड़ानों में आगमन और प्रस्थान दोनों शामिल थीं। शुरू में इसे साइबर हमले से जोड़कर देखा जा रहा था, मगर बाद में सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि ‘आटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम’ (एएमएसएस) में तकनीकी गड़बड़ी की वजह से यह समस्या उत्पन्न हुई। सवाल है कि ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हवाई अड्डे पर पहले से माकूल वैकल्पिक व्यवस्था क्यों नहीं की गई थी?

विमानों की उड़ान में पचास मिनट से एक घंटे तक की देरी हुई

दरअसल, एएमएसएस वह प्रणाली है, जिससे हवाई यातायात नियंत्रित होता है। इसमें किसी भी तरह की तकनीकी खराबी आने से उड़ानों की आवाजाही प्रभावित होना तय है। इससे न केवल विमान यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ती है, बल्कि हवा में उड़ रहे विमानों के लिए भी जोखिम की स्थिति पैदा हो सकती है। दिल्ली हवाई अड्डे पर इस तकनीकी खामी के कारण विमानों की उड़ान में पचास मिनट से एक घंटे तक की देरी हुई। इस कारण बोर्डिंग गेट के पास यात्रियों की लंबी कतारें लग गईं।

अमेरिका में जनता का संदेश साफ — प्रवासियों के पक्ष में जनादेश, ट्रंप की नीतियों को झटका

हवाई अड्डे पर यात्रियों को उनकी उड़ान के पुनर्निधारित समय की सूचना देने की उचित व्यवस्था का अभाव भी साफ नजर आया। सवाल है कि ऐसी स्थिति में यात्री परेशान न हों या अफरा-तफरी का माहौल पैदा न हो, इसके लिए पर्याप्त इंतजाम करने की जरूरत क्यों महसूस नहीं की जाती है? संचालन का कार्य संभालने वाली कंपनी की क्या यह जिम्मेदारी नहीं है कि वह किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एहतियाती व्यवस्थागत इंतजाम करने को प्राथमिकता दे।

हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली में रुक-रुक कर आ रही थीं तकनीकी समस्याएं

दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से प्रतिदिन 1,500 से अधिक उड़ानों का संचालन होता है। यह तथ्य भी सामने आया है कि इस हवाई अड्डे पर दो दिनों से हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली में रुक-रुक कर तकनीकी समस्याएं आ रही थीं और शुक्रवार सुबह यह प्रणाली लगभग ठप पड़ गई। यानी संबंधित अधिकारियों को इसका पहले से अंदेशा था कि इस प्रणाली में ज्यादा तकनीकी अड़चन आ सकती है। इसके बावजूद न तो इस खामी को समय पर दुरुस्त किया जा सका और न ही वैकल्पिक उपायों को चुस्त-दुरुस्त किया गया।

बुलेट ट्रेन के सपनों के बीच मौत की पटरियां क्यों नहीं थम रहीं? रेल हादसे फिर उठा रहे हैं सुरक्षा पर सवाल

तकनीकी खराबी के बाद हवाई यातायात नियंत्रक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर गैर कंप्यूटरीकृत तरीके से काम कर रहे थे, जिसमें समय लगने के कारण उड़ानों में देरी हुई और यह सिलसिला पंद्रह घंटे से अधिक समय तक चलता रहा। जाहिर है, इस अव्यवस्था की हर कोण से जांच कराने की जरूरत है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस घटना से सबक लेकर खासतौर पर तकनीकी व्यवस्थाओं को दुरुस्त कर हर स्तर पर सतर्कता बरती जाएगी, ताकि भविष्य में यात्रियों को किसी तरह की परेशानी न हो।