इसमें दो राय नहीं कि वक्त के साथ अद्यतन होती दुनिया में आज इंटरनेट की भूमिका अहम हो चुकी है। मगर इसके समांतर सच यह भी है कि इंटरनेट की विस्तृत और एक अर्थ में कहें तो असीमित दुनिया में किसी खास विषय पर मौजूद जानकारी को पूरी तरह सही मान लेना अब एक जोखिम भरा काम हो गया है। शायद यही वजह है कि अब इंटरनेट पर खोजे गए किसी तथ्य की कई-कई स्रोतों से जांच और पुष्टि करने की जरूरत पड़ने लगी है। दरअसल, किसी खास मुद्दे पर जानकारी मुहैया कराने वाली कुछ वेबसाइटें अपनी सामग्री ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाती हैं, मगर उसके सही होने को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं होता।

इस संदर्भ में विकिपीडिया को देखा जा सकता है, जहां किसी संदर्भ में कई बार विस्तृत जानकारी रहती है, मगर उसे तैयार करने से लेकर संपादित करने का जो ढांचा बनाया गया है, उसमें कब कोई भ्रामक जानकारी दे दी जाए, कहा नहीं जा सकता। इंटरनेट की विस्तृत और जटिल दुनिया में किसी संदर्भ के सही या गलत होने की जांच करना और उसके तटस्थ होने को लेकर आश्वस्त होना बेहद मुश्किल काम हो जाता है।

यह बेवजह नहीं है कि एक विवाद पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने विकिपीडिया के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगर भारत आपको पसंद नहीं है, तो यहां काम न करें। यह मामला एक समाचार एजंसी से जुड़ा है, जिसमें एजंसी ने विकिपीडिया पर उसके बारे में गलत जानकारी देने, कुछ पेज संपादित करने की इजाजत देने का आरोप लगाया गया है। यही नहीं, एजंसी को सरकार की ओर से झूठा प्रचार करने वाला औजार भी बताया गया। दुनिया भर में लाखों लोग रोजाना विकिपीडिया का इस्तेमाल करते हैं।

इस वेबसाइट पर कोई भी व्यक्ति किसी जानकारी को अद्यतन या उसमें फेरबदल कर गलत जानकारी दर्ज कर सकता है। इस वजह से आए दिन विकिपीडिया के पेज पर मौजूद जानकारियों को लेकर विवाद उभरते रहते हैं। इसके बावजूद विकिपीडिया में इसे सुधारने को लेकर गंभीरता नहीं दिखती। जबकि सिर्फ एक भ्रामक या गलत जानकारी की वजह से किसी व्यक्ति या संस्था को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है, जिसकी भरपाई मुश्किल हो सकती है।