सर्वोच्च अदालत का आदेश आने के बाद दिल्ली के टैक्सी चालकों ने आंदोलन का रास्ता पकड़ लिया। अदालत का आदेश है कि अब कोई भी टैक्सी डीजल से नहीं चलेगी। सभी के लिए सीएनजी लगाना अनिवार्य होगा। हालांकि यह नियम काफी पहले लागू कर दिया गया था। उसमें टैक्सी चालकों को सीएनजी उपकरण लगाने के लिए कुछ मोहलत दी गई थी। मगर टैक्सी चालकों ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दो महीनों में डीजल से चलने वाली महज दो हजार टैक्सियों में सीएनजी उपकरण लगवाए गए। दिल्ली में करीब साठ हजार पंजीकृत टैक्सियां चलती हैं। उनमें से करीब सत्ताईस हजार डीजल से चलती हैं। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर काबू पाने के मकसद से नियम बनाया गया कि सभी टैक्सियों को सीएनजी से चलाया जाए।
मगर जब टैक्सी चालकों ने इस नियम के पालन में गंभीरता नहीं दिखाई, तो सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त आदेश दिया कि मई से बिना सीएनजी उपकरण वाली टैक्सियों को सड़कों पर नहीं उतरने दिया जाएगा। इसी को लेकर टैक्सी चालक नाराज हैं। उन्होंने इस आदेश के विरोध में दिल्ली के विभिन्न इलाकों में सड़कें जाम कर दीं, जिससे यातायात पर बुरा असर पड़ा। इस पर काबू पाने के लिए पुलिस ने कुछ जगहों पर लाठीचार्ज भी किया। यह समझ से परे है कि जब टैक्सी चालकों को सीएनजी उपकरण लगाने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, तो उन्होंने वैसा क्यों नहीं किया। अब वे आंदोलन के जरिए पूरी योजना को अनुचित ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। टैक्सी चालकों के इस विरोध-प्रदर्शन को उचित नहीं कहा जा सकता।
कुछ साल पहले जब दिल्ली में वायु प्रदूषण से पार पाने के लिए सार्वजनिक वाहनों में सीएनजी की अनिवार्यता लागू की गई थी, सभी बसों और तिपहिया वाहनों को सीएनजी से चलाया जाने लगा तब भी इसी तरह इस नियम का विरोध हुआ था। मगर उस वक्त समस्या यह थी कि सीएनजी पंपों की संख्या बहुत कम होने के कारण बसें और तिपहिया वाहन चलाने वालों को बहुत परेशानी उठानी पड़ रही थी। अब वह दिक्कत नहीं है। सार्वजनिक वाहनों को सीएनजी से चलाने के फैसले का सकारात्मक नतीजा निकला था। इसलिए टैक्सी चालकों को अदालत के आदेश के पालन से क्यों गुरेज होना चाहिए? अब पहले की तरह सीएनजी पंपों की कमी भी नहीं है। ऐसा लगता है कि टैक्सी चालकों के विरोध की वजह महज यह है कि वे सीएनजी उपकरण लगवाने और फिर उसका नए सिरे से पंजीकरण कराने पर आने वाला खर्च उठाने और भागदौड़ से बचना चाहते हैं।
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से लोगों की सेहत पर पड़ रहे खतरनाक असर से सब वाकिफ हैं। सरकार ने इससे निपटने के लिए बाहरी राज्यों से आने वाले ट्रकों के शहर से होकर गुजरने पर रोक लगा दी। दो बार सम-विषम योजना भी आजमाई जा चुकी है। जागरूक नागरिक स्वेच्छा से वायु प्रदूषण से निपटने में योगदान कर रहे हैं। फिर टैक्सी चालकों को सीएनजी के उपयोग से छूट क्यों मिलनी चाहिए? जब सारी बसें और तिपहिया वाहन सीएनजी से चल रहे हैं, बहुत सारे लोग निजी वाहनों में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो टैक्सियां भी सीएनजी से क्यों न चलें! वायु प्रदूषण रोकना सबकी जिम्मेवारी है, टैक्सी चालकों की भी।