साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के बीच मोबाइल फोन का उपयोग करने वालों के लिए जोखिम लगातार बढ़ रहा है। एक ओर लोगों के डेटा निरंतर चुराने की खबरें आती हैं, वहीं अब मोबाइल में बेतहाशा सेंधमारी होने लगी है। इसका अर्थ है कि लोगों की निजता खतरे में है। बैंकिंग लेन-देन से लेकर उनकी तमाम गतिविधियों पर नजर है। मोबाइल उपयोगकर्ता की सभी जानकारियां पलक झपकते सेंधमारों तक पहुंच जाती है। इसके बाद क्या होता है, यह किसी से छिपा नहीं है।
पलक झपकते ही पैसा गायब
फिलहाल तो इस खबर ने चिंता बढ़ा दी है कि हमारे यहां मोबाइल फोन में सर्वाधिक सेंधमारी हो रही है। ‘जेडस्केलर थ्रेटलैब्ज 2024 मोबाइल, आइओटी एंड ओटी थ्रेट रपट’ को गंभीरता से लेने की जरूरत है। इसके मुताबिक, दुनिया भर में हुई सेंधमारी के क्रम में भारत में सबसे अधिक अट्ठाईस फीसद हमले हुए। मोबाइल उपयोग करने वालों के लिए यह खतरे की घंटी है, तो दूरसंचार कंपनियों और मोबाइल निर्माताओं के लिए चेतावनी भी। उन्हें बढ़ते साइबर खतरों के बीच अब सुरक्षा उपाय के लिए नए कदम उठाने होंगे।
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अंतरजाल की दुनिया में आंख मूंद कर किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जरा-सी लापरवाही मुसीबत में डाल देती है। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि आज के दौर में सभी गतिविधियां मोबाइल, लैपटाप अथवा कंप्यूटर में केंद्रित हो गई है। लोग अपने से संबंधित कई संवेदनशील जानकारियां मोबाइल में रखते हैं। एक रपट के अनुसार, वास्तविक बैंकिंग वेबसाइट की हूबहू नकल वाली वेबसाइट तैयार कर ग्राहकों को भ्रमित किया जाता है।
अनजान लिंक खतरे की घंटी
किसी अनजान लिंक पर पहुंचते ही साजिशों की घेराबंदी शुरू हो जाती है। मोबाइल ‘स्पाइवेयर’ से भी सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यह उपभोक्ताओं की निजी जानकारियां गुप्त तरीके से चुरा लेता है। सबसे बड़ा खतरा वित्तीय धोखाधड़ी का है। आज जब पूरी बैंकिंग मोबाइल में सिमट गई है, तो ऐसे में यह सेंधमारी किसी को कभी भी संकट में डाल सकती है। कई बार लोग कुछ ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। ताजा रपट में आगाह किया गया है कि कोई दो सौ से अधिक ऐप सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक हैं। ऐसे में लोगों की सजगता ही सुरक्षा की दीवार साबित हो सकती है, मगर सरकार को भी एक ठोस तंत्र बनाने की जरूरत है।