किसी भी त्रासदी का सबक यह होना चाहिए कि भविष्य में लोग उससे बचने के लिए जितना भी संभव हो सके, वह सब करें। पिछले तीन साल के दौरान कोरोना विषाणु से उपजी महामारी की मार का जैसा दुखद अनुभव रहा है, उसमें यह वक्त की जरूरत है कि सरकार, सभी अस्पताल, संस्थान से लेकर आम लोग तक, अपनी ओर से हर स्तर पर सावधानी बरतें।
फिलहाल यह चिंता इसलिए भी सता रही है कि बीते कुछ दिनों से एक बार फिर कोरोना के संक्रमण के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। हालांकि अभी सरकार की ओर से यह कहा गया है कि इसे लेकर अनावश्यक भय फैलाने की जरूरत नहीं है, मगर सतर्क रहना चाहिए। इसे एक उचित सलाह माना जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी स्थिति में बीमारी या कोई अन्य त्रासदी के वक्त डरने के बजाय सबसे ज्यादा जरूरत धीरज के साथ उसका सामना करने की होती है।
अगर समझ-बूझ के साथ उससे निपटने के इंतजाम किए जाएं, लोग अपनी तरफ से विषाणु से बचाव के सभी तौर-तरीके अपनाएं तो कोई कारण नहीं कि इसके खतरों से पार पाना मुश्किल हो। लेकिन अगर बचाव के बजाय लापरवाही बरती गई तो याद किया जाना चाहिए कि शुरुआती दो साल में कोरोना के संक्रमण और उसकी मार ने दुनिया भर में कैसी त्रासदी पैदा की।
गौरतलब है कि अकेले दिल्ली में बीते एक हफ्ते में कोरोना विषाणु के संक्रमण के तीन हजार से ज्यादा मामले दर्ज किए गए और इसमें तेज बढ़ोतरी देखी गई है। देश के अन्य कुछ राज्यों में भी इसके संक्रमण से चिंता पैदा हो रही है। लेकिन इसका सामना करने के अन्य उपायों के समांतर अभी सबसे ज्यादा जरूरत इससे बचाव के उपायों के प्राथमिक तरीकों को लेकर सभी स्तर पर गंभीरता बरतने की है।
इसके मद्देनजर ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने शुक्रवार को देश में कोविड-19 की स्थिति को लेकर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस दौरान कोविड से संबंधित जांच और जीनोम सीक्वेंसिंग के साथ कोरोना से बचाव के लिए निर्धारित नियमों के पालन पर गंभीरता बरतने को लेकर भी बात हुई। खासतौर पर सभी राज्यों को स्वास्थ्य सुविधाओं और इससे संबंधित बुनियादी ढांचे को लेकर समीक्षा पर ध्यान देने को कहा गया।
दरअसल, करीब तीन साल पहले जब इस महामारी की शुरुआत हुई थी, तब इस तरह की मुश्किल स्थिति अचानक पैदा होने की वजह से स्वास्थ्य के मोर्चे पर इसका सामना करने के मामले में कई स्तर पर गंभीर चुनौतियां खड़ी हुर्इं थी। हालांकि तब भी सरकार की ओर से ऐसे इंतजाम किए गए, जिसकी वजह से काफी हद तक हालात पर काबू पाया जा सका।
मगर इसी दौरान यह भी समझने का मौका मिला कि इस विषाणु की प्रकृति किस तरह एक स्वरूप में स्थिर नहीं है और इसके बदलते और नए बहुरूपों से निपटने के लिए एक दीर्घकालिक सुचिंतित नीति की जरूरत है। यही वजह है कि बीच में कोरोना विषाणु की मारक क्षमता का जोर कम होने, टीकाकरण और अन्य स्तर पर व्यापक उपाय करने जैसी स्थितियों के बावजूद सरकार ने इस पर गहरी नजर रखी और इससे बचाव को लेकर समय-समय पर दिशानिर्देश जारी किए जाते रहे। इसके बावजूद हकीकत यह है कि कोरोना के बहुरूपों ने दुनिया भर में बचाव के उपायों को लेकर सिर्फ सजग रहने का ही विकल्प छोड़ा है।
इस साल एक बार फिर अचानक ही इससे संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। इसे लेकर निश्चित रूप से अभी घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इस मसले पर बचाव के उपायों को लेकर किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए।