इसमें दोराय नहीं कि नई तकनीक के साथ चुनौतियां भी साथ आती हैं। मोबाइल फोन और इंटरनेट की आसान पहुंच का बढ़ता दायरा सुविधाजनक तो है, लेकिन इससे कई तरह के जोखिम भी हैं। साइबर धोखाधड़ी इनमें से एक है, जो हाल के वर्षों में आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। सुरक्षा एजंसियों को भी ऐसे अपराधियों का पता लगाने और उनकी धर-पकड़ के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
मोबाइल उपभोक्ताओं को साइबर जालसाजों की ओर से आए दिन अनजान नंबरों से फोन आना आम बात हो गई है और जो लोग उनके झांसे में आ जाते हैं, वे लाखों-करोड़ों रुपए गंवा बैठते हैं। मगर अब इस तरह के फोन की पहचान करना आसान होगा। दूरसंचार विभाग जल्द ही आम उपभोक्ताओं को मोबाइल पर ऐसी सुविधा प्रदान करेगा, जिससे फोन करने वाले व्यक्ति का नाम भी प्रदर्शित होगा। दूरसंचार नियामक ट्राई ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
हालांकि, मोबाइल पर फोन करने वाले व्यक्ति के नाम का पता लगाने के लिए कुछ ऐप आनलाइन उपलब्ध हैं और चुनिंदा लोग उनका इस्तेमाल भी करते हैं। मगर, नाम प्रदर्शित करने की इनकी सटीकता और इस्तेमाल को लेकर लोगों में भ्रम बना रहता है। ऐसे में दूरसंचार विभाग और ट्राई ने जो कदम उठाया है, वह सभी मोबाइल धारकों के हित में है।
दरअसल, ट्राई ने फरवरी, 2024 में फोन करने वाले का नाम प्रदर्शित करने से जुड़ी इस सेवा पर अपनी सिफारिशों में कहा था कि यह केवल मांग करने वाले उपभोक्ताओं को ही मुहैया कराई जाए। जबकि दूरसंचार विभाग का कहना था कि यह सुविधा सभी मोबाइल उपयोगकर्ताओं को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। ट्राई ने अब विभाग के इस प्रस्ताव पर सहमति जता दी है और इस पर परीक्षण भी शुरू कर दिया गया है। दूरसंचार विभाग ने उम्मीद जताई है कि यह सुविधा देशभर में मार्च, 2026 तक लागू हो जाएगी। खास बात यह कि अब मोबाइल फोन में ही यह सुविधा मौजूद रहेगी।
दूरसंचार विभाग का मानना है कि इस व्यवस्था से साइबर धोखाधड़ी के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकेगा। जब किसी मोबाइल पर अनजान नंबर से फोन आएगा, तो स्क्रीन पर उसका नाम भी दिखाई देगा। इससे उपयोगकर्ता सतर्क हो जाएगा और वह साइबर ठगों के जाल में फंसने से बच जाएगा। यह कदम इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश में साइबर अपराध का दायरा तेजी से बढ़ रहा है।
राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड ब्यूरो की ओर से हाल में जारी एक रपट के मुताबिक, वर्ष 2022 में साइबर अपराध के 65,983 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2023 में इनकी संख्या बढ़ कर 86,420 हो गई। इस तरह की धोखाधड़ी के उभरते परिदृश्य से पता चलता है कि साइबर जालसाज ठगी के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। दूरसंचार विभाग मोबाइल में जो सुविधा प्रदान करेगा, उसमें फोन करने वाले का वही नाम प्रदर्शित होगा, जो नंबर खरीदते समय उसने अपने दस्तावेज में दर्ज कराया होगा।
हालांकि, साइबर धोखाधड़ी के कुछ मामलों की जांच में यह तथ्य भी सामने आया है कि संबंधित अपराधी ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर मोबाइल नंबर हासिल किया था। ऐसे में सुरक्षा एजंसियों और प्रशासनिक निकायों को इस तरह के मामलों से निपटने के लिए भी ठोस कदम उठाने होंगे।
