भारत के सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के एक जवान को पाकिस्तान ने लौटा दिया है और स्वाभाविक ही इसे भारत की एक और कूटनीतिक कामयाबी माना जा रहा है। गौरतलब है कि भारत के बीएसएफ के जवान पूर्णम साव तेईस अप्रैल को गलती से पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हो गए थे और वहां उन्हें पकड़ लिया गया था। सीमा पार किन्हीं हालात में अगर अन्य देश के जवान को पकड़ लिया जाता है तो उसके जीवन तक को लेकर आशंकाएं पैदा हो जाती हैं।

यही वजह है कि पूर्णम साव की वापसी को लेकर उनके परिवार सहित देश के लोगों की चिंताएं गहरा रही थीं। इस बीच भारत और पाकिस्तान के बीच किस स्तर का टकराव हुआ, यह दुनिया ने देखा। लेकिन अब बुधवार को जब पूर्णम साव की पाकिस्तान से रिहाई की खबर आई, तो निश्चित तौर पर यह उनके परिवार वालों के साथ-साथ समूचे देश के लोगों के लिए राहत की बात थी। दोनों देशों के डीजीएमओ स्तर पर हुई बातचीत के नतीजे में बीस दिनों के बाद पूर्णम शा को छोड़ा गया।

परिस्थितियां थी ज्यादा संवेदनशील, जिस वजह दोनों देशों के बीच हुआ संघर्ष

दरअसल, जिन परिस्थितियों में बीएसएफ के जवान गलती से पाकिस्तानी सीमा में दाखिल हो गए थे, वे इतनी ज्यादा संवेदनशील थीं कि उनके कारण दोनों देशों के बीच संघर्ष की नौबत आई। पहलगाम में आतंकी हमले में छब्बीस लोगों के मारे जाने के बाद भारत के पास एक तरह से जवाबी कार्रवाई करना अंतिम विकल्प था। इस टकराव की तीव्रता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसे दोनों देशों के बीच पूर्ण संघर्ष के तौर पर भी देखा गया।

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ऐसे में अगर बीएसएफ जवान की सुरक्षा और जान को लेकर भारत में चिंता गहरा रही थी, तो यह लाजिमी था। यों भी पाकिस्तान के अतीत और उसकी प्रकृति अक्सर उसके विवेक आधारित फैसले नहीं लेने के ही सूचक रहे हैं। हालांकि इस बीच उम्मीद जरूर की जा रही थी कि तमाम विपरीत हालात के बावजूद भारत के लगातार कूटनीतिक प्रयासों से जवान की वापसी सुनिश्चित हो सकेगी। मगर जब दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम की घोषणा हुई तब यह उम्मीद और मजबूत हुई कि अब शायद माहौल शांत होने के बाद इस मसले पर कूटनीतिक बातचीत आगे बढ़ेगी।

भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को किया बर्बाद

भारत और पाकिस्तान के बीच किसी गलती से जवानों के सीमा पार कर जाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। अगर युद्ध या तनाव की स्थिति न हो तो रिहाई में ज्यादा मुश्किल नहीं होती है। मगर पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर जिस तरह का हमला किया था, उसे एक तरह से सीधा संघर्ष मान लिया गया था। पाकिस्तान पहले ही अवांछित गतिविधियों के अंजाम देने से लेकर आतंकवादियों को शह और समर्थन देकर भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता रहा है।

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ऐसे में वहां पकड़ लिए गए बीएसएफ जवान के प्रति उसके व्यवहार या रिहाई को लेकर आशंका बनी हुई थी, क्योंकि इसके लिए शुरू होने वाली प्रक्रिया काफी संवेदनशील और जटिल होती है। अंतरराष्ट्रीय कानून और सैन्य संधियों के तहत अगर कोई जवान गलती से सीमा पार कर जाता है तो उसके खिलाफ ज्यादा गंभीर कार्रवाई नहीं की जाती। हालांकि यह दोनों देशों के बीच संवाद और समझौते पर निर्भर करता है। इस लिहाज से देखें तो बीते कुछ दिनों के दौरान तेजी से बदलते घटनाक्रम में जवान की रिहाई के लिए भारत ने कूटनीतिक प्रयास तेज कर दिए थे और आखिर इसमें कामयाबी मिली।