परीक्षाओं में नकल, समय से पहले प्रश्न-पत्रों का बाहर आ जाना और अन्य प्रकार की अवांछित गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कई तरह की कवायदें की जाती रही हैं। मगर आज भी इस समस्या पर काबू पाना एक मुश्किल काम बना हुआ है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से परीक्षाओं के आयोजन के दौरान बहुस्तरीय निगरानी और सख्ती की वजह से नकल और चोरी जैसी गतिविधियों में कमी देखी गई है, मगर प्रश्न-पत्रों के बाहर आने से लेकर अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य को परीक्षा में बिठाने जैसी शिकायतें अब भी आती हैं।
सबसे बड़ी मुश्किल वहां खड़ी होती है, जहां संगठित रूप से किसी गिरोह की ओर से परीक्षाओं में नकल या अन्य गैरकानूनी तौर-तरीके आजमाए जाते हैं, जिसमें कई स्तर पर परीक्षाओं के आयोजन से जुड़े कुछ लोग भी भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त होते हैं। यही वजह है कि बहुत ज्यादा सख्ती के बावजूद प्रश्न-पत्र लीक होने से लेकर नकल जैसे मामलों पर पूरी तरह रोक लगा पाना संभव नहीं हो सका है।
अब केंद्र सरकार ने परीक्षाओं में हर तरह की गड़बड़ी पर रोक लगाने के लिए जो विधेयक संसद में पेश किया है, उसके कानून बनने के बाद नकल या अवांछित गतिविधियों पर काबू पाने की उम्मीद बंधी है। लोकसभा में पेश लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण विधेयक, 2024 के तहत मुख्य जोर परीक्षा के लिए तैयार किए गए प्रश्न-पत्रों तक पहुंच हासिल करने और उन्हें उम्मीदवारों तक पहुंचाने के लिए अनुचित तरीकों से शामिल संगठित गिरोहों पर नकेल कसने पर दिया जाएगा।
इसके दायरे में फिलहाल संघ लोकसेवा आयोग, बैंकिंग, नीट, जेईई, एसएसबी, आरआरबी और सीयूईटी आदि परीक्षाएं आएंगी। नए कानून के तहत दस वर्ष तक की कैद और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। जाहिर है, इस स्तर की सख्ती किसी को भी परीक्षा से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने से रोकेगी।
मगर ध्यान रखने की जरूरत है कि प्रश्न-पत्र लीक कराने से लेकर अन्य किसी भी प्रकार की गड़बड़ी करने वाले गिरोह दरअसल परीक्षा आयोजन से जुड़े तंत्र में घुसपैठ करके भ्रष्ट गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इसलिए सजा में सख्ती के साथ इस तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए एक ठोस तंत्र की जरूरत है।