देश में आम लोगों के लिए रेल सेवाएं यातायात का प्रमुख साधन हैं। रोजाना लाखों लोग रेलगाड़ियों में सफर करते हैं। सरकार यह दावा करते हुए नहीं थकती कि रेलयात्रा को सुलभ एवं सुरक्षित बनाना उसकी प्राथमिकता में है। फिर क्या वजह है कि रेल हादसों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है? कभी दो रेलगाड़ियों के टकराने से दुर्घटना हो जाती है, तो कभी कोई ट्रेन पटरी से उतर जाती है। वहीं, पैदल यात्रियों का ट्रेन की चपेट में आना, तो अब रोजमर्रा की घटनाएं हो गई हैं।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में मंगलवार को एक यात्री ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे बड़ा हादसा हो गया। इसके अगले दिन बुधवार को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में रेलगाड़ी से उतर कर पटरी पार कर रहीं महिलाएं दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गईं। इन दोनों हादसों में कई लोगों की जान चली गई। इससे रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर अब तक हुई रेल दुर्घटनाओं से सबक लेकर व्यवस्था में व्याप्त खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत क्यों महसूस नहीं की जाती है?

गौर करने की बात है कि एक तरफ देश में बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी की जा रही है और दूसरी तरफ रेल दुर्घटनाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राष्ट्रीय अपराध रेकार्ड ब्यूरो की हाल की एक रपट के मुताबिक, देश में वर्ष 2023 में रेलगाड़ियों के टकराने, पटरी से उतरने और पैदल यात्रियों के चपेट में आने से संबंधित चौबीस हजार से अधिक हादसे हुए हैं, जिनमें इक्कीस हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई।

वर्ष 2022 की तुलना में 2023 में रेल हादसों में 6.7 फीसद की वृद्धि हुई है। हालांकि, सरकार की ओर से रेल सेवाओं को सुरक्षित बनाने के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल सहित कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन इन्हें व्यावहारिक रूप में ढालने और धरातल पर लागू करने में विभिन्न स्तरों पर बरती जा रही लापरवाही भी रेल हादसों का एक बड़ा कारण है।

बिलासपुर में रेल हादसे की प्रारंभिक जांच रपट में यह सामने आया है कि चालक दल यात्री ट्रेन को लाल बत्ती पर नियंत्रित नहीं कर पाया, जिससे वह आगे जाकर एक मालगाड़ी के पिछले हिस्से से टकरा गई। यह जांच रपट पांच विशेषज्ञों ने तैयार की है, लेकिन इस पर केवल तीन ने ही हस्ताक्षर किए हैं और इसको लेकर भी अब सवाल उठने लगे हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में हुए हादसे को लेकर रेलवे अधिकारियों का कहना है कि कुछ यात्री एक ट्रेन से पटरी वाले हिस्से की ओर उतर गए और वे उसी वक्त सामने से आ रही दूसरी ट्रेन की चपेट में आ गए।

यह दावा भी किया जा रहा है कि वहां ऊपरिगामी मार्ग बना हुआ है, लेकिन हादसे में जान गंवाने वाली महिला यात्रियों ने उसका इस्तेमाल नहीं किया। सवाल है कि ट्रेन से उतरने वाले यात्री इसी मार्ग का इस्तेमाल करें, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी किसकी है? देशभर में रेलवे फाटकों पर भी पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था न होने की वजह से पटरी पार करते समय आए दिन लोगों की जान चली जाती है। सरकार और रेलवे प्रशासन को सुरक्षा से जुड़ी इन व्यवस्थाओं पर गंभीरता से ध्यान देना होगा तथा लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी होगी, तभी हादसों पर अंकुश लग पाएगा।