छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में नक्सली विद्रोहियों के खिलाफ लंबे समय से सुरक्षा बलों का अभियान जारी है, मगर थोड़े-थोड़े अंतराल पर घात लगा कर हमला करने और उसमें जवानों की मौत की घटनाएं होती रहती हैं। हालांकि इस बीच सुरक्षा बलों ने काफी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया है या फिर उन्हें कानून के शिकंजे में लिया है। शुक्रवार को सुरक्षा बलों के संयुक्त दल को एक अहम कामयाबी तब मिली जब उसने अबूझमाड़ के थुलथुली गांव के जंगल में हुई मुठभेड़ में 30 से ज्यादा नक्सलियों को मार गिराया।

हालांकि इससे पहले नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ जवाबी कार्रवाई की गई। इस घटना में एक खास पहलू यह भी है कि मुठभेड़ में सभी जवान सुरक्षित रहे। इसके बाद घटनास्थल पर एके-47 और एसएलआर राइफलों सहित भारी मात्रा में घातक हथियारों का जखीरा बरामद किया गया। इससे पहले अप्रैल में हुई एक मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए थे।

माओवादी हमलों को सुरक्षा बलों ने किया नाकाम

पिछले कुछ महीने में सुरक्षा बलों ने बड़ी संख्या में माओवादी हमलों को नाकाम कर दिया और कई नक्सलियों को मार गिराया। अबूझमाड़ के जंगलों में ताजा मुठभेड़ में एक पहलू यह भी है कि घटनास्थल से घातक हथियार बरामद किए गए। हालांकि माओवादी समूहों के पास इतने बड़े पैमाने पर घातक हथियारों का होना कोई हैरानी की बात नहीं है, लेकिन सवाल है कि जब छत्तीसगढ़ में जंगली इलाके के बाहर निगरानी और सुरक्षा का घेरा सख्त है, तब माओवादी समूहों के पास इतनी बड़ी तादाद में घातक हथियार कैसे पहुंच जाते हैं!

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जो हो, सुरक्षा बलों की विशेष टुकड़ियों ने नक्सली हमलों का सफलता से सामना किया है और उन्हें कमजोर करने के प्रयास जारी है। मगर यह ध्यान रखने की जरूरत है कि नक्सलवाद की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए इन समूहों के हिंसक हमलों का सामना करने के साथ-साथ आर्थिक और सामाजिक स्तर पर भी जनकल्याण के लिए नीतिगत और जमीनी स्तर पर ठोस पहल करने की जरूरत है, ताकि ऐसे संगठनों को अभाव से जूझती आबादी के बीच पांव जमाने से दूर किया जा सके।