विशिष्ट पहचान पत्र यानी आधार योजना से जुड़ा विधेयक पिछले हफ्ते लोकसभा से पारित हो गया। इसी के साथ ही सरकार सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को आधार कार्ड से जोड़ने की दिशा में कुछ कदम और आगे बढ़ गई है। विशिष्ट पहचान पत्र या आधार की पहल यूपीए सरकार ने कई बरस पहले की थी, और यह दिलचस्प है कि तब विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी को यह योजना रास नहीं आती थी। तब संसद में भाजपा नेताओं ने कई बार इसके औचित्य पर सवाल उठाए थे।

पार्टी ने यहां तक कहा था कि अगर उसे सत्ता में आने का मौका मिला तो वह इस योजना को रद््द कर देगी। पर मोदी सरकार अब इसे लागू करने को बेचैन है। उसका तर्क है कि आधार के जरिए सबसिडी को केवल वास्तविक लाभार्थियों तक सीमित करना संभव होगा और इस तरह हजारों करोड़ रुपए बचाए जा सकेंगे। सरकार हर साल कोई तीन लाख करोड़ रुपए सबसिडी के मद में खर्च करती है।

सरकार का दावा है कि रसोई गैस के मद में फर्जी कनेक्शनों को रद्द करके 2014-15 में पंद्रह हजार करोड़ रुपए बचाए गए। रसोई गैस और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बाद सरकार की मंशा खाद-सबसिडी को भी आधार से जोड़ने की है। लेकिन आधार की इस उपयोगिता के बरक्स कुछ अंदेशे भी शुरू से उठाए जाते रहे हैं। ये आशंकाएं एक बार फिर उठी हैं, संसद के अंदर भी और बाहर भी। डर यह रहा है कि आधार यानी विशिष्ट पहचान पत्र के लिए जुटाए गए बायोमीट्रिक आंकड़े कहीं व्यक्ति की निजता, स्वतंत्रता और सुरक्षा को तो खतरे में नहीं डालेंगे।

सरकार की ओर से वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया है कि ये आंकड़े संबंधित व्यक्ति की मर्जी के बगैर किसी से साझा नहीं किए जाएंगे, और कुछ आंकड़े तो उसकी मर्जी के बाद भी साझा नहीं किए जाएंगे। इस विधेयक को मनी बिल यानी धन विधेयक के रूप में पेश किए जाने पर विपक्ष ने तीखा विरोध जताया है। यही नहीं, विपक्ष ने एकजुट होकर राज्यसभा का सत्र दो दिन बढ़ाने की मांग की है ताकि इस मुद्दे पर सरकार को घेरा जा सके।

धन विधेयक के लिए लोकसभा की मंजूरी पर्याप्त है। राज्यसभा में उस पर चर्चा तो होगी, पर उसकी मंजूरी अनिवार्य नहीं। इससे जाहिर है कि संबंधित विधेयक को धन विधेयक के तौर पर पेश करने के पीछे सरकार की मंशा क्या रही होगी। पहले ही उस पर राज्यसभा का महत्त्व घटाने की कोशिश करने के आरोप विपक्ष कई बार लगा चुका है। उसे अंदेशा है कि आधार विधेयक तो सिर्फ शुरुआत है, आगे सरकार और भी कई विधेयकों को धन विधेयक के रूप में पेश कर सकती है। क्या आधार विपक्ष को और कमजोर करने का भी आधार बनेगा?