सरकारों के कामकाज का आकलन इस बात से भी होता है कि वे शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा आदि को लेकर कितनी व्यावहारिक और टिकाऊ योजनाएं बनाती हैं। इससे खुशहाली सूचकांक भी बेहतर होता है। इस दृष्टि से आयुष्मान भारत योजना का विस्तार सराहनीय कदम कहा जा सकता है। अभी तक यह योजना गरीब और निम्न आयवर्ग के लोगों की स्वास्थ्य देखभाल को ध्यान में रख कर चलाई जा रही थी। इसमें पांच लाख तक का स्वास्थ्य बीमा होता है। अब इसमें सत्तर वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को भी शामिल कर लिया गया है। बुजुर्गों के मामले में आय का कोई बंधन नहीं होगा। किसी भी वर्ग के बुजुर्ग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
करीब छह करोड़ वरिष्ठ नागरिकों और साढ़े चार करोड़ परिवारों को लाभ
इससे करीब छह करोड़ वरिष्ठ नागरिकों और साढ़े चार करोड़ परिवारों को लाभ मिलेगा। इसके तहत देश भर के चयनित अस्पतालों में इलाज कराया जा सकता है। इस योजना से संबद्ध अस्पतालों की संख्या तीस हजार से अधिक हो गई है। यह योजना इसलिए भी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है कि हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी निरंतर बढ़ रही है और अनुमान है कि 2050 तक मौजूदा आबादी बढ़ कर दोगुनी हो जाएगी। यानी हर पांचवां व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक होगा।
इसी वर्ष स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के लिए भी आयु का बंधन हटा दिया गया था। अब सत्तर वर्ष से अधिक उम्र के लोग भी स्वास्थ्य बीमा योजनाएं खरीद सकते हैं। इस तरह वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल संबंधी योजनाओं का विस्तार सामाजिक सुरक्षा की दृष्टि से बेहतर कदम कहा जा सकता है। आयुष्मान भारत योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा संबंधी हर तरह की सुविधाएं मुफ्त उपलब्ध होंगी। यह इसलिए भी सकारात्मक पहल है कि हमारे देश में बहुत सारे बुजुर्ग उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं।
परिजनों की प्रताड़ना और समाज की अवहेलना से त्रस्त बुजुर्ग अपनी उम्र के आखिरी पड़ाव पर अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते देखे जाते हैं। उनमें ज्यादा संख्या ऐसे लोगों की होती है, जिनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं होता। वे परिवार के लिए अनुपयोगी मान लिए जाते हैं। हालांकि परिजनों की उपेक्षा के खिलाफ कड़े कानून हैं, फिर भी अक्सर बुजुर्गों की स्वास्थ्य देखभाल पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता। आयुष्मान भारत योजना के विस्तार से ऐसे लोगों को बहुत संबल मिलेगा। उन्हें इलाज संबंधी छोटी-मोटी जरूरतों के लिए भी अपने परिजनों या दयाभाव रखने वालों का मुंह नहीं जोहना पड़ेगा।
हालांकि इस योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने जब दिल्ली और पश्चिम बंगाल सरकारों पर निशाना साधा, तो इन सरकारों ने प्रतिक्रिया दी कि आयुष्मान भारत योजना केवल कागजों पर सुंदर दिखती है, जबकि इन राज्यों में चलाई जा रही स्वास्थ्य योजनाएं व्यावहारिक धरातल पर कहीं बेहतर हैं। स्वास्थ्य और शिक्षा समवर्ती सूची का विषय हैं, इसलिए इनकी सफलता में केंद्र और राज्य दोनों की बराबर संजीदगी अपेक्षित होती है।
इन्हें लेकर राजनीतिक विवाद खड़ा करने की कोशिश से आखिरकार आमजन का ही नुकसान होता है। पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि आकर्षक योजनाएं बनाने और लागू कर देने भर से उनके वास्तविक लक्ष्य तक पहुंचने का भरोसा नहीं दिलाया जा सकता। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा और निजी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं की लूट के तथ्य उजागर हैं। स्वास्थ्य बीमा के दुरुपयोग को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। इसलिए स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी पर भी गंभीरता से ध्यान देने की दरकार है।
